वैज्ञानिकों ने किया बड़ा दावा, कहा मीट खाने से संसार पर मंडाराया ये बड़ा खतरा

जलवायु बदलाव के खतरों को लेकर पूरी संसार हाई अलर्ट पर है. इस पर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है. इंडिपेंडेंट में प्रकाशित   समाचार के अनुसार वैज्ञानिकों ने संसार में लोगों कम मीट खाने का आग्रह किया है.

वैज्ञानिकों ने इस समय को क्लाइमेट इमर्जेंसी करार दिया है. अमरीका ने हाल ही में क्लाइमेंट चेंज को लेकर पेरिस समझौते से खुद को अलग कर लिया है. इसकी चारो तरफ निंदा हो रही है.

11 हजार वैज्ञानिकों ने तैयार की रिपोर्ट

जलवायु बदलाव से निपटने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने छह सूत्रीय प्रोग्राम पेश किया है. इस रिपोर्ट को 153 राष्ट्रों के 11 हजार वैज्ञानिकों ने मिलकर तैयार किया है. इन वैज्ञानिकों ने करीब 40 वर्ष का डेटा का अध्ययन कर रिपार्ट तैयार की है.

फल  सब्जी खाने की अपील

इस रिपोर्ट में विश्वभर के लोगों से ज्यादा से ज्यादा फल  सब्जी खाने को बोला गया है. मीट को कम खाने की अपील की गई है. कम मीट का प्रयोग होने से मिथेन  ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कमी आएगी. वैज्ञानिकों ने खाने को भी कम से कम बर्बाद करने की अपील की है. रिपोर्ट के मुताबिक, करीब एक तिहाई खाना सारे दुनिया में बर्बाद होता है.

मीट  डेयरी प्रॉडक्ट के गंभीर परिणाम

2018 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की तरफ से एक अध्ययन के आधार पर बोला गया था कि अगर लोग मांसाहारी की स्थान शाकाहारी हो जाएं तो इस गंभीर चुनौती को नियंत्रित कर सकेंगे. अगर कोई मीट  डेयरी प्रॉडक्ट खाना छोड़ दे,तो वह 73 प्रतिशत कम कॉर्बन का उत्सर्जन करेगा.