चीन का रॉकेट गिरा यहाँ, खत्म कर दिया ये…

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने इस हफ्ते मीडिया को बताया था कि रॉकेट के अवशेष जब पृथ्वी की वायुमंडल में प्रवेश करेंगे तो वे जल जाएंगे।

चीन आगामी हफ्तों में अपने अंतरिक्ष केंद्र कार्यक्रम के लिए और रॉकेट भेज सकता है क्योंकि उसका उद्देश्य अगले साल तक इस परियोजना को पूरा करने का है।

उसने बताया कि वायुमंडल में पुन: प्रवेश के वक्त रॉकेट का बहुत कम हिस्सा ही बचा और ज्यादातर हिस्सा जल गया। नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने बयान जारी कर कहा, ”यह साफ है कि चीन अंतरिक्ष के मलबे के संबंध में जिम्मेदार मानकों को पूरा करने में नाकाम रहा है।”

उन्होंने कहा, ”अंतरिक्ष पर जाने वाले देशों को पृथ्वी पर लोगों और संपत्ति के खतरे को कम करना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि चीन और अंतरिक्ष पर जाने वाले सभी देश जिम्मेदारीपूर्वक और पारदर्शिता के साथ काम करें ताकि अंतरिक्ष गतिविधियों में सुरक्षा एवं स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।”

इससे पहले पेंटागन ने मंगलवार को कहा था कि वह चीन के उस विशाल रॉकेट का पता लगा रहा है जो नियंत्रण से बाहर हो गया और उसके इस सप्ताहांत तक पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करने की संभावना है।

चीन के ‘मैन्ड स्पेस इंजीनियरिंग’ कार्यालय ने बताया कि चीन के लॉन्ग मार्च 5बी रॉकेट के अवशेष बीजिंग के समयानुसार सुबह 10 बजकर 24 मिनट पर पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश कर गए और वे 72.47 डिग्री पूर्वी देशांतर और 2.65 डिग्री उत्तरी अक्षांश में समुद्र के एक खुले क्षेत्र में गिरे।

अमेरिकी और यूरोपीय एजेंसियां इस अनियंत्रित रॉकेट के गिरने पर नजर रख रही थी। अमेरिकी सेना के आंकड़ों का इस्तेमाल करने वाली निगरानी सेवा ‘स्पेस-ट्रैक’ ने भी रॉकेट के पृथ्वी की वायुमंडल में पुन: प्रवेश की पुष्टि की।

‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ ने बताया कि ज्यादातर अवशेष पृथ्वी के वायुमंडल में पुन: प्रवेश के दौरान ही जल गए। चीन ने इस रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में बनाए जाने वाले अपने तियांगोंग स्‍पेस स्‍टेशन का पहला हिस्‍सा भेजा था। यह रॉकेट 29 अप्रैल को दक्षिणी द्वीपीय प्रांत हैनान स्थित वेंगचांग स्पेसक्राफ्ट लॉन्च साइट से प्रक्षेपित किया गया था।

नौ मई चीन के अनियंत्रित हुए सबसे बड़े रॉकेट ‘लॉन्ग मार्च’ का मलबा रविवार को पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर गया और इसके ज्यादातर अवशेष जल गए तथा मालदीव के पास हिंद महासागर में गिर गए।

देश की अंतरिक्ष एजेंसी ने रविवार को इसकी जानकारी देते हुए उन अटकलों को खत्म कर दिया कि इस रॉकेट का मलबा कब और कहां गिरेगा।