पाक के कट्टरपंथी समूह ने किया ऐसा, अफगानिस्तान में…

उन्होंने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगियों को 19 साल तक अफगानिस्तान में रहने के अलावा बॉडी बैग और असफलता के अलावा कुछ नहीं मिला।

उन्होंने दोहराया कि अफगानिस्तान में अशरफ गनी सरकार को यह महसूस करना चाहिए कि उसे अमेरिकियों के साथ सहयोग करने से कुछ नहीं मिलेगा और तालिबान जल्द ही राष्ट्र पर कब्जा कर लेगा।

बता दें कि जमीयत उलमा-ए-इस्लाम (नजरियत) पाकिस्तान में एक राजनीतिक दल है। इसका गठन मौलाना अस्मातुल्लाह खान ने जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम छोड़ने के बाद किया था। यह 2007 में जेयूआई (एफ) के एक अलग गुट के रूप में गठित किया गया था और 2016 में अपने मूल संगठन, यानी जेयूआई-एफ के साथ फिर से विलय कर दिया गया था।

पाकिस्तान में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (नजरियत) के केंद्रीय संयुक्त सचिव मौलाना महमूद उल हसन कासमी ने अफगानिस्तान में तालिबान की स्पष्ट जीत पर इस्लामी दुनिया को बधाई दी है।

कासमी ने कहा कि बहुत जल्द इस्लामी क्रांति का सूरज उदय होगा क्योंकि इस्लाम के मुजाहिदीन ने औपनिवेशिक शक्तियों की कमर तोड़ दी है। उन्होंने कहा कि तालिबान ने 48 देशों की संयुक्त सेना और उनके समर्थकों को एक कड़वा सबक सिखाया है।