भारत की सीमा से लगे क्षेत्रों में चीन बढ़ा रहा एयरफोर्स की शक्ति, तैयार किए कम से कम 16 नये…

इसी प्रकार काराकोरम दर्रा लद्दाख के उत्तर में है और भारत और चीन के लिए रणनीतिक है क्योंकि यह लद्दाख के भारतीय क्षेत्र और तिब्बत में चीन के झिंगियांग स्वायत्त क्षेत्र के बीच की सीमा पर पड़ता है.

भारतीय नियंत्रण में सबसे महत्वपूर्ण सियाचिन ग्लेशियर पूर्वी काराकोरम रेंज में पड़ता है. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) काराकोरम रेंज से होकर गुजरता है.

काराकोरम दर्रे के आसपास, चीन ने कम से कम पांच हवाई अड्डों – होटन, शाचे, काशी, ताशकोर्गन में नये और युतियन वांगफंग में सुविधाओं में वृद्धि की है. लद्दाख में तनाव शुरू होने के बाद से होटन एयरबेस, लद्दाख के करीब और काराकोरम दर्रे से लगभग 250 किलोमीटर दूर बेहद सक्रिय है. यहां लड़ाकू विमानों की भारी तैनाती और नयी सुविधाओं का निर्माण किया गया है.

प्रथम श्रेणी की सबसे महत्वपूर्ण और नवीनतम हवाई अड्डा ताशकोरगम पामीर है. यह काराकोरम दर्रे के करीब है. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में गिलगित के उत्तर में 10,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित, पामीर पठार पर हवाई अड्डा महत्वपूर्ण सियाचिन ग्लेशियर के निकट है. यह इस क्षेत्र का पहला उच्च पठारी हवाई अड्डा है. यह एयरबेस संभवत: जुलाई 2022 से काम करने लगेगा.

इनमें से अधिकांश झिंजियांग प्रांत में हैं जो भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और रूस के साथ सीमा से सटे हुए हैं. यह क्षेत्र लद्दाख के साथ भी सीमा साझा करता है जो पिछले एक साल से भारत और चीन के बीच सैन्य संघर्ष का केंद्र रहा है. अरुणाचल प्रदेश के सामने दो नये हवाई अड्डे भी पाइपलाइन में हैं.

भारत के साथ पिछले कुछ सालों से जारी तनाव के बीच चीन भारत की सीमा से लगे क्षेत्रों में नये या अपने मौजूदा हवाई अड्डों का विस्तार करके अपनी वायु सेना की सुविधाओं को बढ़ा रहा है.

एक खास रिपोर्ट के मुताबिक खुफिया रिपोर्टों में लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और यहां तक ​​कि उत्तराखंड को फोकस करते हुए चीन ने कम से कम 16 नये एयरबेस तैयार किये हैं.