कोरोना की चपेट में आने पर शरीर के ये हिस्से को रहे खराब , शोधकर्ताओं ने बताया खतरा…

साइंटिस्टों ने बताया कि सैंपलों में कई बीमारियों के बायोलॉजिकल फिंगरप्रिंट पाए गए, जिसमें लिवर की शिथिलता (खराब होना), डायबिटीज और कोरोनरी हार्ट डिजीज के खतरे भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि जो लोग कोरोना वायरस से संक्रमित थे, उनमें इन रोगों का दीर्घकालिक असर देखने को मिला। उन्होंने बताया कि जब भी कोई शख्स संक्रामक बीमारियों की चपेट में आता है तो कुछ वक्त के लिए ये बायोलॉजिकल फिंगरप्रिंट पूरे शरीर की केमस्ट्री बदल देते हैं, जिसका असर बॉडी के कई भागों में देखने को मिलता है।

एक रिसर्च के मुताबिक, कोरोना का संक्रमण होने पर शरीर के कई भाग प्रभावित होते हैं। इसका सबसे अधिक प्रभआव फेफड़ों पर पड़ता है और कई रोगियों में लिवर खराब होने के संकेत मिले हैं।

इस रिसर्च के लिए ऑस्ट्रेलिया के मर्डोक विश्वविद्यालय तथा ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय के साइंटिस्टों ने कोरोना पॉजिटिव रोगियों के एक समूह से प्लाज्मा के नमूने एकत्र किए और उनका मिलान हेल्दी लोगों से एकत्र किए गए सैंपल से किया, ताकि इस बात का निर्धारण किया जा सके कि दोनों ग्रुपों के सैंपलों में क्या मेटाबॉलिक भिन्नताएं हैं।

साइंटिस्टों ने कहा कि इस मॉडल के जरिए अध्ययन के दौरान उन्हें पता चला कि कोरोना वायरस मल्टी-ऑर्गन मेटाबॉलिक डिजीज है यानी यह एक ऐसी बीमारी है जो शरीर के अधिकतर अंगों को प्रभावित करती है।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 का संक्रमण होने पर न सिर्फ श्वास संबंधी परेशानियां होती हैं बल्कि इससे मेटाबॉलिक यानी चयापचय विकार भी सामने आने लगते हैं।

COVID-19 के संक्रमण का पता लगाने के लिए साइंटिस्टों ने एक ऐसा मेटाबॉलिक मॉडल विकसित किया है, जो ये अनुमान लगा सकता है कि वायरस बॉडी के इन अंगों को नुकसान पहुंचा रहा है।