निर्भया मुद्दे (Nirbhaya Case) में न्यायालय द्वारा 7 जनवरी तक दया याचिका समेत अन्य अधिकारों का प्रयोग करने के लिए दोषियों को समय दिये जाने पर निर्भया की मां न्यायालय रूम में ही रो पड़ीं।
जज के सामने रोते हुए उन्होंने बोला ‘मैं एक वर्ष से भटक रही हूं। ‘ इस पर जज ने समझाया कि दोषियों के अधिकारों के भीतर उन्हें समय दिया गया है। जज ने कहा, ‘हमें आपसे पूरी सहानुभति है लेकिन हम कानून से बंधे हुए हैं। ‘ इस दौरान निर्भया के पिता भी न्यायालय में थे व उनकी आंखों में भी आंसू आ गए। निर्भया की मां आशा देवी ने बोला कि हमें अपराधियों के अधिकार के बारे में बताया गया लेकिन हमारे अधिकारों का क्या हुआ?
उन्होंने बोला कि अगर अदालत में कर्नाटक, याकूब की सजा पर तत्काल देर रात सुनवाई हो सकती है, तो मैं यह समझने में विफल हूं कि इस पर क्यों नहीं?
बताते चलें कि बुधवार को दोषी अक्षय सिंह की याचिका पर सुनवाई थी, जिसे उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया। इसके बाद पटियाला हाउस न्यायालय ने सभी दोषियों को एक सप्ताह का वक्त दिया है। सुनवाई के दौरान अदालत ने तिहाड़ कारागार के अधिकारियों से बोला कि वे निर्भया मुद्दे में दोषियों से पूछें कि क्या वे राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर कर रहे हैं।
इससे पहले दिल्ली की न्यायालय को निर्भया मुद्दे में चार दोषियों में से एक की पुनर्विचार अर्जी खारिज करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसला के बारे में सूचित किया गया।
16 दिसंबर 2012 की है घटना
बता दें कि दिल्ली में सात वर्ष पहले 16 दिसंबर 2012 की रात को एक नाबालिग समेत छह लोगों ने एक चलती बस में 23 वर्षीय निर्भया का सामूहिक दुष्कर्म किया था व उसे बस से बाहर सड़क के किनारे फेंक दिया था। इस घटना की निर्ममता के बारे में जिसने भी पढ़ा-सुना उसके रोंगटे खड़े हो गए। इस घटना के बाद सारे देश में व्यापक प्रदर्शन हुए व महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर आंदोलन प्रारम्भ हो गया था।