छत्तीसगढ़ के लोगो ने किया ये कारनामा, पहाड़ का सीना चीर कर बनाया ये…

 छत्तीसगढ़ के कुछ आदिवासियों ने सरकारी अमले की अनदेखी पर पहाड़ का सीना चीर कर सड़क तैयार कर दी. दरअसल, किसी भी विशेष हालात में गांव से दूर ब्लॉक मुख्यालय भैरमगढ़ तक जाने के लिए जंगली पगडंडियों पर 20 किमी का चक्कर काटना पड़ता था.

ऐसे में सड़क बनाने के लिए सरकार से वर्षो से गुहार लगा रहे थे, लेकिन नक्सली दखलंदाजी के चलते इस ओर ध्यान ही नहीं दिया गया. आखिरकार पांच गांव के आदिवासियों ने मीटिंग कर खुद ही सड़क बनाने का फैसला लिया  जुट गए गैंती, फावड़ा  कुल्हाड़ी आदि औजार लेकर पहाडि़यों का सीना चीरने को. इन आदिवासियों ने अपने हौसले  संकल्प के चलते दो माह में 12 किलोमीटर लंबी सड़क तैयार कर दी है.

भैरमगढ़ ब्लॉक में करीब एक हजार की आबादी वाले अल्लूर के आदिवासियों को देख ‘मांझी द माउंटेन मैन’ फिल्म के हीरो दशरथ मांझी का वो डॉयलाग याद आ जाता है, जिसमें वो कहता है- भगवान के भरोसे क्यों बैठें. क्या पता भगवान हमारे भरोसे बैठा हों. नक्सल प्रभावित अल्लूर के ग्रामीण भी न भगवान के भरोसे बैठे रहे, न सरकार का मुंह ताका. भैरमगढ़ ब्लॉक के अल्लूर, तुरेनार, इरपापोमरा, जपमारका  हाकवा गांव धुर नक्सल प्रभावित इलाके हैं. प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने के बाद आदिवासियों को उम्मीद थी कि अब उनके गांव में भी राशन की दुकान, स्कूल, अस्पताल होगा. चार माह पहले ग्रामीणों ने इन सुविधाओं की मांग भी की थी, लेकिन प्रशासन ने यह कहते हुए असमर्थता जता दी थी कि नक्सल समस्या के कारण अभी वहां तक सड़क बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है.