सामने आई ये बड़ी खबर, भारतीय सेना ने चीन को दिया ये बड़ा झटका, जानिए कैसे…

​ झड़प का दूसरा दौर रात 9 बजे के करीब शुरू हुआ, जब भारत के कमांडिंग अफसर कर्नल संतोष बाबू के सिर से एक बड़ा पत्थर टकराया और वे गलवान नदी में गिर गए। यह टकराव करीब 45 मिनट तक चला। रात के अंधेरे में दोनों सेनाओं के करीब 300 सैनिक एक-दूसरे से लड़ रहे थे। आमने-सामने की इसी लड़ाई में चीनियों ने कील लगे रॉड और डंडों का इस्तेमाल किया।

 

गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों से चीनियों का पहला टकराव 15 जून की शाम 7 बजे हुआ था​। इस दौरान भिड़ंत सिर्फ हाथापाई और धक्का-मुक्की तक ही सीमित रही​। 30 मिनट तक चली इस लड़ाई में दोनों ओर से लोग चोटिल हुए, लेकिन भारतीय सैनिक चीनियों पर भारी पड़े​। इस दौरान 16 बिहार रेजिमेंट के जवानों ने चीन की उस पोस्ट को तोड़ दिया जो 6 जून को हुई कोर कमांडर स्तर की वार्ता में बनी सहमति के बावजूद बनाई गई थी​।

चीन और भारतीय सैनिकों के बीच तीसरा टकराव रात 11 बजे के बाद शुरू हुआ और छिटपुट तरीके से आधी रात के बाद तक जारी रहा। यह झड़प पूरी तरह से चीनी सीमा में हुई।

इस दौरान भारतीय सैनिक चीनियों पर टूट पड़ रहे थे और कई चीनी सैनिकों की गर्दन तोड़ डाली थी लेकिन संकरी घाटी और सीधी चढ़ाई होने की वजह से भारत और चीन के कई जवान गलवान नदी में गिर गए।

कई सैनिकों को गिरते वक्त पत्थरों से चोट लगी।करीब सात बजे शुरू हुई इस लड़ाई के 5 घंटे गुजर जाने के बाद भारत और चीन के स्वास्थ्यकर्मी पहुंचे और अपने-अपने सैनिकों का इलाज शुरू किया। रात के अंधेरे में ही दोनों सेनाओं की ओर से घायल और मृत सैनिकों का आदान-प्रदान हुआ।

गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत के एक हफ्ते बाद भी भले चीन ने अपने हताहत सैनिकों की संख्या के बारे में खुलासा न किया हो लेकिन तीन दौर की हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच शवों के आदान-प्रदान के दौरान भारतीय सेना ने 26 सैनिकों के शव चीनी सेना को सौंपे थे ​।

इसकी ​​फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी की गई​ है​। ​​इसके अलावा​ ​पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी ​(​​​पीएलए​)​ के ​70 से अधिक ​घायल ​सैनिकों ​को भी उनके हवाले किया गया है। यही वजह है कि पीएलए ​इस घटना के एक हफ्ते बाद भी ​अपना नुकसान ​बताने से कतरा रही है​​​​​​​​।​