राम मंदिर को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने उठाया ये बड़ा कदम, कहा तोड़ने की…

136 साल पुराने अयोध्या विवाद में 6 दिसंबर, 1992 को सांप्रदायिक तनाव उस समय बढ़ा गया था, जब एक भीड़ ने बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया। बाबरी के ध्वस्त होने के बाद देश में कई जगहों पर दंगे हुए.

 

जिसमें कम से कम 2,000 लोगों की मौत हुइ्र। हिंदुओं का मानना है कि अयोध्‍या स्थल भगवान राम की जन्मभूमि है, और 16वीं शताब्दी में इसके ऊपर मस्जिद बनाई गई थी।

AIMPLB इस मामले में पक्षकार नहीं था, लेकिन तीन मुकदमों में आरोपी था। अयोध्या शहर के निवासी मोहम्मद उमर खालिद, अयोध्या जिले के रहने वाले मिस्बाहुद्दीन और अंबेडकरनगर जिले के टांडा शहर के निवासी महफूजुर रहमान ने फैसले में समीक्षा याचिका दायर की थी। हालांकि, सभी समीक्षा याचिकाओं को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था।

AIMPLB ने पिछले साल नवंबर में अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक समीक्षा याचिका दायर की थी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को अयोध्या में एक मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित करने का भी निर्देश दिया था।

AIMPLB ने कहा कि वह वैकल्पिक पांच एकड़ जमीन को स्वीकार नहीं करेगा। जमीयत उलमा-ए-हिंद (JUH) ने कहा था कि उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का विरोध किया।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ट्वीटर पर लिखा, “#BabriMasjid थी और हमेशा एक मस्जिद होगी। #HagiaSophia हमारे लिए एक बेहतरीन उदाहरण है।

अन्यायपूर्ण, दमनकारी, शर्मनाक और बहुसंख्यक तुष्टिकरण निर्णय द्वारा भूमि का पुनर्निमाण इसे बदल नहीं सकता है। दिल तोड़ने की जरूरत नहीं है। स्थिति हमेशा के लिए नहीं रहती है।” इस ट्वीट के साथ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक प्रेस रिलीज भी जारी की।

अयोध्या में राम मंदिर शिलान्यास समारोह से पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया है। ट्विटर पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से कहा गया कि “दिल तोड़ने की कोई जरूरत नहीं है”।