किसान आंदोलन के चलते मोदी सरकार को लगा ये बड़ा झटका, साफ़ दिखने लगा ये…

नए कृषि क़ानून की एक आर्थिक क़ीमत केंद्र सरकार एमएसपी पर भारी ख़रीद से चुका रही है. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) था, है और रहेगा – ये बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कई बार दोहरा चुके हैं. बावजूद इसके किसान सरकार के इस आश्वसन पर भरोसा करने को राज़ी नहीं है.

धरने पर बैठे किसानों के अंदर इसी भरोसे को पुख़्ता करने के लिए फूड कॉरपोरेशन आफ़ इंडिया (एफ़सीआई) ने इस साल गेहूं चावल की रिकॉर्ड ख़रीद की है. सरकारी एजेंसी एफसीआई ने पिछले साल के मुक़ाबले तक़रीबन 50 लाख मिट्रिक टन गेहूं ज़्यादा ख़रीदा है.

इस क़ानून को लागू करने के लिए मोदी सरकार को एक बड़ी क़ीमत चुकानी भी पड़ रही है. राजनीतिक क़ीमत का एक अंदाज़ा तो सरकार ने ख़ुद लगा लिया है, लेकिन उनके इस फ़ैसले का तात्कालिक आर्थिक नुक़सान भी देखने को मिल रहा है.

बैठक के बाद इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान तो सामने नहीं आया, लेकिन मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ बीजेपी का ख़ुद का आकलन है कि 40 लोकसभा सीटों पर किसान आंदोलन असर डाल सकता है.

इसलिए बीजेपी अध्यक्ष ने नेताओं से अपने-अपने इलाक़े में नए कृषि क़ानूनों पर जनता के बीच जा कर जागरूकता अभियान तेज़ करने के लिए कहा है. स्पष्ट है कि बीजेपी किसान आंदोलन से चिंतित है, फिर भी क़ानून को लागू करने लिए अटल निश्चय किए बैठी है.

किसान आंदोलन की वजह से केंद्र की बीजेपी सरकार की माथे पर चिंता की लकीरें साफ़ दिखने लगी है. इसका एक इशारा मंगलवार को मिला, जब पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘जाटलैंड’ कहे जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के नेताओं के साथ इस बारे में चर्चा की.