दोनों देशों के बीच सैन्य वार्ता नाकाम, भारत ने सीमा पर भेजी…., अब हो सकता पूरी तरह…

इसी ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अगस्त की शुरुआत में तैनात की गई माउंटेन डिवीजन को जिम्मेदारी दी गई। माउंटेन डिवीजन ने टोह लेने के साथ ही अपनी आक्रामक योजनाओं की तैयारी शुरू की। ये योजनाएं इतनी गुप्त थीं कि इस ऑपरेशन में शामिल किए जाने वाले सैनिकों को भी पता नहीं था कि क्या चल रहा है।

 

सेना के सूत्रों का कहना है कि इसी के बाद पैगॉन्ग झील के दक्षिणी किनारे पर थाकुंग चोटी से लेकर 3 किमी. क्षेत्र में रेज़ांग ला तक फैली रणनीतिक चोटियों ब्लैक टॉप, हेलमेट, मागर और गुरुंग हिल्स को अपने कब्जे में लेकर इन पर नये सिरे से सैनिकों की तैनाती करने की गोपनीय योजना तैयार की गई थी।

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख के दक्षिणी पैगॉन्ग इलाके में 29/30 अगस्त की रात में चीनी सेना (पीएलए) के जवानों ने थाकुंग चोटी पर घुसपैठ करने की कोशिश की, जिसको भारतीय सेना के जवानों ने नाकाम कर दिया और चीनी सेना को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा। भारतीय सैनिकों ने इस क्षेत्र में लगे चीनी सेना के खुफिया कैमरे और सर्विलांस सिस्टम भी तोड़कर फेंक दिया।

बता दें कि इस की वजह चीनी सैनिक पीछे हटने की बजाय भारत पर ही दबाव डाल रहे हैं कि हम उस क्षेत्र को छोड़ दें, जिन आधा दर्जन रणनीतिक चोटियों पर हमने पिछले सप्ताह सेना की नए सिरे से तैनाती की थी। वहीँ बदले हालातों में भारत ने सीमा पर एनएसजी कमांडो की 4 यूनिट भेज दी हैं।

पूर्वी लद्दाख के दक्षिणी पैगॉन्ग इलाके में 29/30 अगस्त की रात चीनियों की घुसपैठ नाकाम होने के बाद लगातार 6 दिन तक दोनों देशों के बीच चली ब्रिगेड कमांडर स्तरीय वार्ता भी कोई ठोस परिणाम नहीं दे सकी है। एक तरह से ब्रिगेड कमांडर स्तर की वार्ताओं को इसलिए नाकाम मान लिया गया है.