चीन के कब्जे में आया इस देश का हिस्सा, जानकर लोग हुए हैरान

राख़िनी में रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय को उनके घरों से बेदखल करने के बाद उस जमीन को विकसित किया जा रहा है. चीन इसी राखिनी स्टेट में 72 अरब रुपये (1.3 अरब डॉलर) की लागत से एक बंदरगाह का निर्माण कर रहा है.

 

जिसे सीधे हिंद महासागर से जोड़ दिया जाएगा. बताया जाता है कि भारत समेत अमेरिका और पश्चिमी देश मानवाधिकारों को लेकर दुनिया भर में शोर-शराबा कर रहे थे.

उन दिनों चीन राख़िनी स्टेट में बंदरगाह निर्माण के सिलसिले में म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सांग सु की समेत अन्य नेताओं के साथ इस समझौते की शर्तों को पूरा करने में लगे थे.

इस बंदरगाह के शिलान्यास के साथ-साथ राखिनी में क्यौकफु स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन के उद्घाटन के लिए भी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग दल-बल के साथ शुक्रवार को पहली बार म्यांमार पहुंचे हैं.

इस बंदरगाह के निर्माण से चीन के तेल टैंकरों को मलेशिया और इंडोनेशिया के बीच ‘मलाक्का खाड़ी’ में से होकर नहीं गुज़रना पड़ेगा. उसके तेल टैंकर सीधे हिंद महासागर से आ जा सकेंगे.

चीन अस्सी प्रतिशत कच्चे तेल की भरपाई इसी बंदरगाह से करने का इच्छुक है. इस बंदरगाह को चीन अपने एक प्रांत “यूनान” के साथ रेल मार्ग से भी जोड़ रहा है. चीन ने अपने वैश्विक आर्थिक गलियारे में ‘बेल्ट एंड रोड पहल’ में अब म्यांमार में विवादास्पद रोहिंग्या बहुल राख़िनी स्टेट को भी लपेट लिया है.

यह वही राख़िनी स्टेट हैं, जहां से दस लाख रोहिंग्यों को उजाड़ दिया गया था और बुद्धिस्ट बहुल म्यांमार में उन्हें सेना के ज़ुल्मों सितम का शिकार होना पड़ा था. इनमें करीब आठ लाख रोहिंग्या आज भी बांग्लादेश की शरण में नारकीय जीवन जीने को विवश हैं.