चेन्नई के मैकेनिकल इंजीनियर ने चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का ढूंढ निकाला मलबा

राजधानी चेन्नई के एक मैकेनिकल इंजीनियर ने चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा ढूंढ निकाला है. उनकी इस खोज को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी सही बताया है. इसके लिए नासा ने उन्हें धन्यवाद भी दिया है. पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर और कंप्यूटर प्रोग्रामर शनमुग सुब्रमण्यम ने नासा की तस्वीरों का इस्तेमाल करते हुए विक्रम के मलबे को ढूंढ निकालने में अहम भूमिका निभाई.

उन्होंने इसके लिए लगभग एक सप्ताह तक हर दिन 6 से 8 घंटे इन तस्वीरों का अध्ययन किया. ये तस्वीरें नासा द्वारा जारी की गई थी. दो तस्वीरों में से एक लैंडिंग से पहले और दूसरी लैंडिंग के बाद की है. दोनों ही तस्वीरों में बारीकी से अध्ययन करने के बाद शनमुग ने नासा को मेल के द्वारा इसकी जानकारी देकर पुष्टि करने कहा. नासा की टीम ने उनकी इस खोज पर काम किया और इसे सही पाया.

लेनोक्स इंडिया टेक्नोलॉजी सेंटर चेन्नई में काम करने वाले शनमुग ने बताया कि मुझे चांद की सतह पर कुछ अलग सा दिखा, मुझे लगा कि ये विक्रम लैंडर का मलबा ही होगा. फिर नासा ने भी इसकी पुष्टि कर दी. उन्होंने कहा कि मैंने 4-5 दिन तक रोजाना 7-8 घंटे इसमें लगाए. उल्लेखनीय है कि चांद के दक्षिणी धु्रव पर सॉफ्ट लैंडिंग से महज एक मिनट पहले इसरो का चंद्रयान-2 से संपर्क टूट गया था.

लैंडिंग साइट से 750 मीटर दूर

मदुरई निवासी शनमुग ने कहा कि मुझे लैंडिंग साइट से करीब 750 मीटर दूर एक सफेद बिंदु दिखा, जो लैंडिंग से पहले की तस्वीर में नहीं दिख रहा था. उसकी चमक भी ज्यादा थी. तब मैंने अंदाजा लगाया कि यह विक्रम लैंडर का ही टुकड़ा है. तब मैंने ट्वीट किया कि शायद इसी जगह पर विक्रम चंद्रमा की मिट्टी में धंस गया है.

2 गुणा 2 वर्ग किमी क्षेत्र की पिक्सेल स्कैनिंग

शनमुग ने बताया कि उनकी रुचि इसमें इसलिए बढ़ गई, क्योंकि विक्रम लैंडर ठीक से लैंडिग ही नहीं कर पाया था. नासा ने 17 दिसंबर को इस जगह की तस्वीर जारी की. मैंने इसका बारीकी से अवलोकन शुरू किया. इसमें मुझे सफलता नहीं मिली. फिर मैंने इसरो के लाइव टेलीमेट्री डेटा के आधार पर आखिरी गति और स्थिति को ध्यान में रखते हुए लगभग 2 गुणा 2 वर्ग किमी क्षेत्र की पिक्सेल स्कैनिंग की. इसके बाद मुझे यह सफलता मिली.

नासा ने जवाब देकर दी बधाई

शनमुग ने कहा कि नासा ने मुझे इसका श्रेय भी दिया और इस संबंध में मेरे पास नासा का जवाब भी आया. नासा के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट (एलआरओ मिशन) जॉन केलर ने शनमुग को लिखा- धन्यवाद कि आपने हमें विक्रम लैंडर के मलबे की खोज के बारे में ई-मेल किया. हमारी टीम इस बात की पुष्टि करती है कि लैंडिंग के स्थान की पहले और बाद की तस्वीरों में अंतर है. टीम ने उस इलाके की और छानबीन की और इसके आधार पर घोषणा की जाती है कि नासा और एएसयू पेज में आपको इस खोज के लिए श्रेय दिया जाता है. नासा ने मंगलवार सुबह अपने लूनर रेकॉन्सेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) से ली गई एक तस्वीर जारी की है, जिसमें विक्रम लैंडर से प्रभावित स्थान दिखाई दे रहा है. नासा ने कहा है कि उसने 26 सितंबर को क्रैश साइट की एक तस्वीर जारी की थी और लोगों को विक्रम लैंडर के संकेतों की खोज करने के लिए बुलाया था. शनमुग ने मलबे की सकारात्मक पहचान के साथ एलआरओ परियोजना से संपर्क किया.