ड्राइविंग टेस्ट में हुआ ये बड़ा बदलाव जिससे अनुभवी ड्राइवर भी हो सकते है फ़ैल

अनुभवी ड्राइवर को भी लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। अनुभवी ड्राइवर को भले ही गाड़ी अच्छे से चलानी आती हो लेकिन वो भी ड्राइविंग टेस्ट में फेल हो सकते हैं। इसकी बडी वजह बताई जा रही है वजह है लाइसेंस बनाने के लिए हो रहे ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट। राजधानी दिल्ली समेत अलग-अलग राज्यों में अब लाइसेंस के लिए ऑटोमेटिक टेस्ट हो रहे है। अनुभवी ड्राइवर भी जब अपना लाइसेंस रिन्यू करवाने के लिए पहुंचे तो ऑटोमेटिक व्यवस्था में कई फेल हो गए और कई काफी परेशान हुए।

ये ऑटोमेटिक टेस्ट पूरी तरह से कंप्यूटराइजड है। इसमें आसानी से गलतिया पकड़ सकते है। इसमें सेंसर लगा है जो गलती को कैच कर सकता है। तय समय में अगर टेस्ट पूरा नहीं होता है तो इसे फेल कर दिया जाता है। फिर एक हफ्ते से पहले दोबारा टेस्ट भी नहीं दे सकते।

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ये टेस्ट वैसे तो सेंट्रल मोटर वीइकल रूल्स के हिसाब से हैं, लेकिन अधिकारी का कहना है कि टेस्ट काफी कठिन होता है। एक अधिकारी ने कहा कि लोगों के फेल होने की वजह रिवर्स S, रिवर्स पैरेलल पार्किंग जैसे रुल्स हैं। वह बताते हैं कि असल जिंदगी में ऐसी कंडीशन में ड्राइवर शायद ही कभी फंसे। लाइसेंस बनने की प्रक्रिया में बदलाव का बड़ा असर भी देखने को मिला है। मयूर विहार वाला ट्रैक 5 मार्च से खुला है। इससे पहले यहां का पास प्रतिशत 84.8 प्रतिशत था जो अब गिरकर 57.4 प्रतिशत रह गया है।

अब कैसे होता है ड्राइविंग टेस्ट

1. सबसे पहले डेड ऐंड तक कार को सीधा लेकर जाना होता है

2. फिर कार से रिवर्स S बनाते हुए 120 सेकंड में दूसरे कोने तक जाना है। इसे बेमतलब का बताया जा रहा।

3. फिर कार को सीधा चलाते हुए 8 बनाना है

4. फिर ट्रैफिक लाइट पर रुकना है

5. फिर 90 सेकंड में कार को रिवर्स करके पैरेलल पार्क करना है। इसका भी विरोध। ऐसी पार्किंग भारत में है ही नहीं।

6. आगे रैंप पर कार को चढ़ाना-उतारना होता है

7. फिर रैंप से उतरकर टेस्ट खत्म हो जाता है।