पति की लंबी आयु व अखंड सौभाग्यवती रहने के लिए आज महिलाए रखती है वट सावित्री व्रत

विवाहित महिलाएं हर साल वट सावित्री व्रत अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगलकामना से करती हैं।हिंदू धर्म के अनुसार सावित्री ने बरगद के पेड़ के नीचे ही अपने पति सत्यवान को दूसरा जीवन दिलवाया था। 

ये पर्व खासतौर से उत्तर भारत काफी प्रचलित है। इस दिन वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। वट सावित्री व्रत में वट अर्थात बरगद की पूजा करने का खास महत्व है। यह व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को किया जाता है। विवाहित महिलाओं के लिए ये दिन बहुत मायने रखता है।

ऐसी मान्यता है कि बरगद के वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का वास होता है।मान्यता है कि सावित्री को अर्घ्य देने से पहले इस मंत्र का जाप करना चाहिए

वट वृक्ष की पूजा करते समय इस मंत्र का जप करें –

यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले।
तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मा सदा।।

परिक्रमा के समय इस मंत्र को पढ़ने से लाभ होगा –

यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च।
तानि सर्वानि वीनश्यन्ति प्रदक्षिण पदे पदे।।

अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते।
पुत्रान्‌ पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तुते।।