टेंशन के पीछे जिनपिंग के दिमाग में चल रहा भारत के साथ अब यह करना का ख्याल

भारतीय सीमा पर चीन की सेना की विफलता के परिणाम सामने आएंगे। चीनी आर्मी ने शुरुआत में शी जिनपिंग से इस विफलता के बाद फौज में विरोधियों को बाहर करने और वफादारों की भर्ती करने की बात कही है।

जाहिर है, बड़े अफसरों पर गाज गिरेगी। सबसे बड़ी बात यह कि विफलता के चलते चीन के आक्रामक शासक जिनपिंग जो कि पार्टी के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के अध्यक्ष भी हैं और इस नाते पीएलए के लीडर भी, वो भारत के जवानों के खिलाफ एक और आक्रामक कदम उठाने के लिए उत्तेजित होंगे।

दरअसल, मई की शुरुआत में ही लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के दक्षिण में चीन की फौजें आगे बढ़ीं। यहां लद्दाख में तीन अलग-अलग इलाकों में भारत-चीन के बीच टेम्परेरी बॉर्डर है। सीमा तय नहीं है और पीएलए भारत की सीमा में घुसती रहती है। खासतौर से 2012 में शी जिनपिंग के पार्टी का जनरल सेक्रेटरी बनने के बाद।

लद्दाख  में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के बीच जारी तनाव को लेकर अमेरिकी पत्रिका न्यूज वीक ने बड़ा खुलासा खुलासा किया है। अमेरिकी पत्रिका न्यूज वीक की माने तो इस टेंशन के पीछे राष्ट्रपति जिनपिंग का दिमाग है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की शह पर ही PLA सीमा पर तनाव को आगे बढ़ा रही है। साथ ही न्यूज वीक ने खुलासा किया है कि भारत से मात खाने पर के बाद फिर से चीनी सेना हमला कर सकती है।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मंजूरी से LAC पर चीनी सेना आक्रामक है और जिनपिंग ही सीमा पर बढ़े तनाव के असली ‘वास्तुकार’ हैं। साथ ही न्यूज वीक का बड़ा खुलासा किया है कि अप्रैल में रूस ने चीनी युद्धाभ्यास को लेकर भारत को भरोसा दिलाया था कोई खतरा नही है। लेकिन चीनी सैनिकों ने धोखे से गलवान में हमला किया।

साथ ही अमेरिकी पत्रिका न्यूज वीक के इस लेख में कहा गया है कि 15 जून को गलवान में हुई झड़प में चीन के 60 से ज्यादा सैनिक मारे गए। दुर्भाग्य से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ही भारतीय क्षेत्र में आक्रामक मूव के आर्किटेक्ट थे, लेकिन उनकी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) इसमें फ्लॉप हो गई। पीएलए से ऐसी अपेक्षा नहीं की जा रही थी।