ये याचिका उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा के शिकार 10 पीड़ितों द्वारा याचिका की गई है। पीड़ितों ने भाजपा नेताओं कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर और भड़काऊ बयानबाजी करने वाले अन्य नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
याचिकाकर्ताओं ने पुलिस की भूमिका की जांच के लिए सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने की मांग भी की है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील कॉलिन गोंजाल्वेज ने सीजेआई एसए बोबडे को बताया कि पिछली रात भी लोगों की मौत हुई है और दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा इस मामले की सुनवाई में देरी हो रही है।
दिल्ली में हुई हिंसा के बाद दिल्ली पुलिस पर लगातार सवाल खड़े हो रहे है, जिसके बाद नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग़ में चल रहे प्रदर्शन के बीच ही धारा 144 लागू कर दी गई है.
इसके बाद शाहीन बाग में दिल्ली पुलिस ने नोटिस जारी कर कहा है कि इस क्षेत्र में न इकट्ठे हों, न ही प्रदर्शन करें. बताया जा रहा है कि ये फैसला हिन्दू सेना के रास्ता खुलवाने की धमकी के बाद लिया गया है.
इसके अलावा इस याचिका में दिल्ली के बाहर से अफसरों द्वारा एसआईटी का गठन कर हिंसा की जांच कराए जाने की मांग भी की है। उनकी मांग हैं कि हिंसा प्रभावित इलाकों में कानून-व्यवस्था कायम रखने के लिए आर्मी बुलाई जाए।
सुप्रीम कोर्ट दिल्ली हिंसा के पीड़ितों की याचिका पर सुनवाई करने को तैयार हो गया है। सर्वोच्च अदालत इस मामले में बुधवार को सुनवाई करेगी।
इस याचिका में याचिकाकर्ताओं द्वारा भड़काऊ भाषण देने के आरोपी भाजपा नेताओं कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है।