गैंगस्टर विकास दुबे की मौत के बाद सामने आया ये 30 साल पुराना सच, सीएम योगी और…

गैंगस्टर विकास दुबे को लेकर ग्वालियर से पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि इन दोनों ने विकास दुबे के दो साथियों शशिकांत पांडे और शिवम दुबे को शरण दी थी।

 

दोनों मददगार ओम प्रकाश और अनिल को गिरफ्तार कर लिया गया है।गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद पुलिस की टीम कानपुर के बिकरू गांव पहुंची।

पुलिस ने गांव के लोगों के साथ एक पंचायत की और लोगों के मन से गैंगस्टर विकास दुबे का खौफ निकालने की कोशिश की। लोगों ने पुलिस को बताया कि गैंगस्टर विकास दुबे ने उनकी जमीन-जायदाद दबंगई के दम पर हड़प ली थी.

विकास का शुक्रवार को ही भैरवघाट श्मशान गृह में अंतिम संस्कार किया गया। इसके बाद आईएएनएस ने संतोष शुक्ला के भाई मनोज शुक्ला से विशेष बातचीत की।

शुक्ला ने कहा, ” 19 साल हम लोग घुट-घुट के जी रहे थे। भगवान के यहां देर है-अंधेर नहीं। अपराधी पाप करता चला गया और पाप का जब घड़ा भर गया तो उसे किए की सजा मिल गई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और यूपी पुलिस के तेज तर्रार अफसरों को बधाई।

हालांकि मैं इसे बिकरू गांव में शहीद और घायल पुलिसवालों को सच्ची श्रद्धांजलि तो नहीं कहूंगा। पूरी श्रद्धांजलि तब होगी जब उसके पूरे गिरोह को सजा मिलेगी या उसका खात्मा होगा।”

अब 2 जुलाई को अपने गांव में दबिश देने आए पुलिस दल पर हमला करके आठ पुलिसवालों की बर्बर हत्या करने वाले विकास दुबे को उसके किए की सजा मिल चुकी है।

संतोष शुक्ला के परिवार को लगता है कि उनकी आत्मा को आज जाकर शांति मिली है लेकिन अगर खादी, खाकी और अपराधी के गठजोड़ को नहीं तोड़ा गया तो आगे भी विकास दुबे पैदा होते रहेंगे और इसी तरह समाज के रक्षकों की जान जाती रहेगी।

विकास का अपराध का इतिहास 30 साल पुराना था। शुरूआत में वह छोटे-मोटे अपराध किया करता था लेकिन 2001 में उसने चौबेपुर के शिवली पुलिस स्टेशन के अंदर तत्कालीन श्रम संविदा बोर्ड के चेयरमैन, राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त बीजेपी के बड़े नेता-संतोष शुक्ला की दिनदहाड़े हत्या कर खूब सुर्खियां बटोरीं। सबूतों के अभाव में इस जघन्य अपराध के लिए उसे सजा तक नहीं हो सकी।

‘कानपुर वाला विकास दुबे’ अब इस दुनिया में नहीं है। एक दुर्दांत अपराधी का जो हश्र होना चाहिए, वह उसका भी हुआ। शुक्रवार को पुलिस एनकाउंटर में वह मारा गया।