चीन को सबक सिखाने के लिए एकसाथ आए ये देश, बोला…

चीन से संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त को झिंजियांग और हांगकांग तक पहुंचने की अनुमति देने का आग्रह किया गया, ताकि वहां पर अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत आने अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा की जा सके।

 

यह फैसला चीन पर भारत के बड़े कूटनीतिक और व्यापार रोक के बाद लिया गया है। भारत ने 59 चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाया और बीजिंग द्वारा ‘डब्ल्यूटीओ मानदंडों का उल्लंघन’ कहा।

इसके बाद, अमेरिका ने मंगलवार को दो चीनी कंपनियों- हुआवेई टेक्नोलॉजीज और जेडटीई कॉर्पोरेशन को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा’ मानते हुए रोक लगा दी है।

इसके अलावा डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने एक कानून पारित किया है, जोकि चीन को जातीय अल्पसंख्यकों पर अपनी कार्रवाई के लिए दंडित करेगा। जारी किए गए एक बयान में व्हाइट हाउस ने कहा कि ट्रम्प ने 2020 के उइगर मानवाधिकार नीति अधिनियम पर हस्ताक्षर किए।

यह चीन में उइगर और अन्य अल्पसंख्यकों की जातीय पहचान और धार्मिक मान्यताओं को मिटाने के लिए शिविरों में जबरम बंदी बनाने और दुर्व्यवहार के जवाबदेह में है। अमेरिका ने भी चीनी हरकतों को देखते हुए हांगकांग के साथ रक्षा निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया।

इन देशों में ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, बेलीज, कनाडा, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, आइसलैंड, जर्मनी, जापान, लातविया, लिकटेंस्टीन, लिथुआनिया, लक्समबर्ग, मार्शल आइलैंड्स, नीदरलैंड्स, न्यूजीलैंड नॉर्वे, पलाऊ, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं।

भारत द्वारा चीन के अहंकार को तोड़ने के लिए 59 चीनी मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगाने के बाद दुनिया के 27 देशों ने उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

इन 27 देशों ने UNHRC में चीन के खिलाफ शिकायत याचिका पेश की है। याचिका में मनमाने ढंग से नजरबंदी, व्यापक निगरानी, प्रतिबंध, उइगरों पर अत्याचार और चीन में अन्य अल्पसंख्यकों पर चिंता व्यक्त की गई।

इस याचिका में मानव अधिकारों के उल्लंघन का हवाला देते हुए हाल ही में पारित हांगकांग सुरक्षा कानून को उठाया है। इसे चीन और हांगकांग के बीच ‘एक देश, दो प्रणाली’ के खिलाफ बताया गया है।