चीन के जाल में फंसा ये देश, बाहर निकलना हुआ मुश्किल

ऐसे में वहां के नेताओं ने भी साफ कर दिया है कि इस मुद्दे पर हमें राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर भारत के साथ बातचीत शुरू करने की जरूरत है।

 

ओली सरकार ने नेपाल के इस नक्‍शे में संशोधन तो कर दिया है, लेकिन वह इसको मंजूरी दिलाने के लिए अबतक संसद में विधेयक पेश नहीं कर पाई है।

नेपाल की जनता भी नहीं चाहती कि इस मुद्दे को लेकर भारत के साथ कोई विवाद खड़ा किया जाए, क्‍योंकि यूपी और बिहार में उनकी काफी रिश्‍तेदारी है। इसके साथ ही नेपाल के लोग बड़ी तादाद में भारत में काम करते हैं और यहां से बड़ी तादाद में उनका व्‍यापार चलता है।

नेपाल की इस हरकत के बाद भारत सरकार ने भी कड़ा रुख अख्तियार कर लिया और वहां की सरकार से किसी भी तरह की बातचीत करने से पहले विश्‍वास बहाल करने की बात कही है।

भारत ने साफ कहा है कि इस प्रकरण से दोनों देशों के बीच विश्वास का संकट पैदा हुआ है। बातचीत के लिए नेपाल को पहले भारत का विश्वास जीतना होगा।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ‘भारत अपने सभी पड़ोसियों के साथ भरोसे और विश्वास के माहौल में परस्पर सम्मान की भावना के साथ बात करने को तैयार है। यह एक सतत प्रकिया है और इसके लिए रचनात्मक और सकारात्मक प्रयासों की जरूरत है।’

चीन की जाल में फंसकर भारत के खिलाफ साजिश रचना नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को भारी पड़ गया है। इस कदम के बाद देश में ही उनका विरोध होने लगा है।

नेपाल की प्रमुख विपक्षी पार्टी ने भी ओली को फटकार लगाते हुए कहा है कि उनकी यह हरकत देश और देशवासियों के हित में नहीं है। एक बैठक के दौरान फैसला लिया कि देश के विवादित नक्शे को संसद में रखने से पहले भारत से बातचीत जरूरी है।