आमने-सामने आए ये देश, बढ़ा दबाव है…अब हो सकता…

कोरोना वायरस जिसके कारण संसार भर के 49,27,523 से ज्यादा लोग संक्रमित हुए व 3,20,957 लोगों की मृत्यु हो गई, ये वायरस दिसंबर 2019 में चाइना के वुहान से निकला था।

 

हालांकि, चाइना ने कोरोना वायरस महामारी को कैसे हैंडल किया, इस सवाल को चाइना ने बेबुनियाद करार दिया। चाइना में मृत्यु के आधिकारिक आंकड़ों पर शक के बावजूद भी चाइना ने बोला कि सब कुछ साफ था व कुछ भी छिपाया नहीं गया था।

ऑस्ट्रेलिया से नाराज चाइना ने बदला लेने के लिए ऑस्ट्रेलियाई जौ निर्यात पर भारी शुल्क लगा दिया।

चीनी राजदूत ने ऑस्ट्रेलियाई सामानों के उपभोक्ता बहिष्कार की चेतावनी दी थी। चीनी दूतावासों ने हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर अधिक मुखर रुख अपनाया है.

जिसमें कोरोना वायरस प्रकोप से निपटने की आलोचना भी शामिल है, एक नीति जिसे पश्चिमी व चीनी मीडिया दोनों में ‘वुल्फ वॉरियर’ कूटनीति करार दिया गया है।

चीनी अखबार, द ग्लोबल टाइम्स ने मंगलवार को एक आर्टिक्ल प्रकाशित किया, जिसमें बोला गया था- ‘वैश्विक समुदाय ने COVID-19 पर चाइना द्वारा प्रायोजित प्रस्ताव का स्वागत किया जो ऑस्ट्रेलिया को गाल पर थप्पड़ की तरह है। ‘यह तो एकदम अलग बात है क्योंकि चाइना पर तो इस जाँच के लिए दबाव डालाय गया है।

ऑस्ट्रेलिया ही वो पहला देश है जिसने महामारी पर वैश्विक जाँच की मांग की थी व ऑस्ट्रेलिया की मांग के बाद 100 से भी ज्यादा राष्ट्रों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था।

अब जब WHA ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है तो ये चाइना व ऑस्ट्रेलिया के बिगड़ते रिश्तों की खाई को व बढ़ा सकता है।

कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रसार को काबू करने में जो सफलता ऑस्ट्रेलिया (Australia) को मिली वो उसके सबसे बड़े ट्रेडिंग पार्टनर चाइना (China) के साथ गहराते टकराव के पीछे छिप गई। अब दुनिया स्वास्थ्य सभा (WHA) ने कोरोना वायरस महामारी की उत्पत्ति की वैश्विक जाँच पर हामी भर दी है।