कोरोना वायरस को लेकर सामने आया ये बड़ा सच, शारीर के अंदर होता है…

जिन्हें सांस के साथ अंदर लेने पर वे सीधे फेफड़ों में जाकर अल्ट्रवॉइलट रोशनी छोड़ते हैं. उन्होंने उम्मीद जताई है कि कोरोना के साथ ट्यूबरकुलोसिस व कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियों में इसका उपयोग किया जा सकता है.

 

आंद्रे के अनुसार अभी तक शरीर के अंदर UV डिसइन्फेक्शन नहीं किया जा सका है व एजेंसी ने इसे करने का उपाय खोज लिया है. उन्होंने बताया कि उपचार के लिए ऐसे मॉलिक्यूल व गैसों के कणों को चुनते हैं.

शरीर के अंदर UV रोशनी के प्रयोग से डिसइन्फेक्शन का विचार सबसे पहले अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रैल में दिया था. इस दौरान ट्रंप ने बोला कि मान लेते हैं कि हम शरीर को ऐसे ही अल्ट्रावॉइलट या पावरफुल रोशनी से हड़ताल करें.

तो इसका प्रभाव क्या होगा. अभी इसे चेक नहीं किया गया है, व मैंने बोला कि रोशनी को शरीर के अंदर पहुंचाया जाए, स्किन या किसी व ढंग से से व आपने बोला कि आप उसे टेस्ट करेंगे, यह बहुत ज्यादा इंट्रेस्टिंग है.’ इस आइडिया पर ट्रंप का बहुत ज्यादा मजाक उड़ा था.

रूस के वैज्ञानिक कोरोना वायरस के उपचार के लिए अल्ट्रावॉइलट (UV) की लाइट पर कार्य कर रहे हैं. इसके जरिए मरीजों को डिसइन्फेक्शन किया जाएगा.

स्टेट न्यूक्लियर एजेंसी के Rosatom आंद्रे गोवडोस्की के अनुसार इंस्टिट्यूट ऑफ फिजिक्स एंड पॉवर इंजिनियरिंग कोरोना वायरस के साथ-साथ कई वायरसों से निपटने पर कार्य कर रहे हैं.

इस परियोजना को luminous gas नाम दिया गया है. दिलचस्प बात यह है कि यह आइडिया अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दिया था तो लोग दंग रह गए थे.