चीनी सैनिकों ने किया था इन हथियारों का इस्तेमाल, लोहे की लिपटी रॉडों से…

पूर्वी लद्दाख में चार जगहों पर पीपुल्‍स लिबरेशन आर्मी ने घुसपैठ की. बड़ी संख्‍या में चीनी सैनिक आर्टिलरी बख्‍तरबंद गाड़‍ियों के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास मौजूद हैं.

 

गलवान घाटी पैंगोंग झील, दो मुख्‍य पॉइंट हैं जहां दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं. तमाम बातचीत के बाद भी चीन के सैनिक गलवान घाटी से हटने को तैयार नहीं थे. भारतीय सैनिक चीनी जवानों को कल रात पीछे धकेल रहे थे. इसी दौरान दोनों पक्षों के बीच खूनी झड़प हो गई, जिसमें भारत के बीस जवान शहीद हो गए हैं.

बिहार रेजीमेंट के जवानों ने भी चीनियों को मुंहतोड़ जवाब दिया. चीन की क्षति के बारे में सटीक संख्या की जानकारी नहीं है. कहा गया है कि चीन को भी नुकसान का सामना करना पड़ा है. 40 से अधिक सैनिक या तो मारे गए हैं या फिर घायल हैं.

इन्हें ले जाने के लिए चीन के कई चॉपर एलएसी के करीब दिखे. इस बड़े घटनाक्रम के बाद, दोनों सेनाओं के वरिष्‍ठ अधिकारी मौके पर मुलाकात कर हालात संभालने की कोशिश में लगे हुए हैं.

सीमा पर इस घटना के बाद दोनों देशों बीच स्थिति बेहद गंभीर हो गई है. भारतीय सैन्य वशेषज्ञों ने इसे बर्बरता करार दे युद्ध नीतियों के खिलाफ बताया है. गौरतलब है कि भारत-चीन सीमा पर जहां हिंसक झड़प हुई.

वहां दोनों ही पक्षों की सेना को हथियारों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं होती है. सामान्य झड़पों में भी नहीं.धोखेबाज मक्कार पिपुल्स लिबरेशन आर्मी  के चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों  पर हमला करने के लिए लोहे की रॉड, कील पत्थर जैसे हथियारों का इस्तेमाल किया था.

चीनी सैनिकों के हमले के समय बिहार रेजीमेंट से जुड़े भारतीय सैनिक सीमा पर नियमित गश्त पर थे. बताते हैं कि लगभग 300 चीनी सैनिकों ने कीलों से लिपटी लोहे की रॉडों से भारतीय सैनिकों को निशाना बनाया.

अंतरराष्ट्रीय युद्ध नियमों के विपरीत हुए इस हमले का भारतीय सैनिकों ने भी करारा जवाब दिया तीन दर्जन से अधिक चीनी सैनिकों को जमकर धुना. इनमें से कई सैनिकों की बाद में मौत हो गई. हालांकि चीनी सेना ने अपने सैनिकों के हताहत होने से जुड़ा आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया.