चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा चीन NGO से कहा …आखिर Indian Army..

इस रेजीमेंट से भारतीय सेना को तीन आर्मी चीफ मिले हैं- जनरल सैम मानेकशॉ, जनरल दलबीर सिंह और जनरल बिपिन रावत. जनरल सैम मानेकशॉ भारत के पहले फील्ड मार्शल थे. गोरखा रेजीमेंट के शौर्य और बहादुरी के लिए मानेकशॉ कहते थे कि अगर दुनिया में कोई कहता है कि उसे मरने से डर नहीं लगता तो या तो वो झूठ बोल रहा है या तो वो गोरखा है

सैम मानेकशाॉ की इस कहावत से समझा जा सकता है कि गोरखा सैनिक भारतीय सेना में कितनी अहमियत रखते हैं. फिलहाल भारतीय सेना में 30,000 गोरखा सैनिक हैं. गोरखा सैनिकों की भर्ती के लिए नेपाल में भारतीय सेना के तीन केंद्र हैं. वहीं भारत सरकार गोरखा सैनिकों की पेंशन के लिए 3000 करोड़ रुपए नेपाल भेजती है.

चीन अपनी हरकतों और चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा है. खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक काठमांडू स्थित चीनी दूतासावास ने चीन स्टडी सेंटर NGO से ये पता लगाने के लिए कहा है कि आखिर नेपाल के लोग भारतीय सेना में क्यों शामिल होते हैं.

उन्होंने ये भी पता लगाने के लिए कहा है कि भारत और चीन के बीच तनाव के दौरान नेपाल पर क्या सामाजिक और आर्थिक प्रभाव पड़ा था. मालूम हो कि भारतीय सेना में नेपाल के गोरखा सैनिक भर्ती होते हैं और गोरखा रेजीमेंट भारतीय सेना की एक जांबाज रेजीमेंट के तौर पर पहचानी जाती है.

चीन के उप विदेश मंत्री लुओ झाओहुई और नेपाल के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कूटनीतिक बातचीत के 13वें दौर की बैठक भी आयोजित की गई. इस दौरान लुओ ने कहा कि दोनों पक्षों को राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पिछले साल की नेपाल यात्रा के दौरान किए गए फैसलों को लागू करना चाहिए और संयुक्त रूप से ‘वन बेल्ट वन रोड’ पहल पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.