केंद्र सरकार ने दिल्ली के लोगो से छिना ये अधिकार , लागू किया ये बिल

प्रस्ताव में यह भी लिखा है कि ‘जो छोटे परिवार को बढ़ावा नहीं देता है उन्हें किसी भी प्रकार का कोई फायदा नहीं मिलेगा और जो मिल भी रहा है उसे भी वापस ले लिया जाना चाहिए. जिससे जनसंख्या नियंत्रण में रह सके.’

 

संशोधन प्रस्ताव के मूल ध्येय और कारणों में कहा गया है कि भारत की जनसंख्या पहले ही 125 करोड़ से ज्यादा हो गई है जो कि बहुत भयावह है. पिछले 40 सालों के भीतर ही देश की आबादी दोगुनी हो गई है और आने वाले कुछ दशकों के भीतर भारत चीन को पीछे छोड़ देगा.

राज्य सभा में रखे इस बिल के कारणों में लिखा है कि यूएन की रिपोर्ट के अनुसार भारत, पाकिस्तान और नाइजीरिया उन देशों में शामिल हैं जहां की जनसंख्या वृद्धि दर सबसे ज्यादा है. भारत विश्व में दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है.

संशोधन प्रस्ताव में कहा गया है कि जनसंख्या वृद्धि भविष्य में काफी दिक्कतें पैदा कर सकती हैं. इसके लिए हमें चिंतित होना चाहिए. केंद्र और राज्य सरकारों को नीतियां लाकर इस पर नियंत्रण करना चाहिए.

राज्य सभा में 7 फरवरी को शिवसेना सांसद अनिल देसाई ने जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए संविधान संशोधन का प्रस्ताव रखा. देसाई ने प्राइवेट मेंबर के तौर पर सदन में यह बिल पेश किया है.

प्रस्ताव में संविधान के अनुच्छेद 47 में संशोधन की बात कही गई है. इसके अनुसार संशोधन में कहा गया कि, ‘राज्य के द्वारा छोटे परिवार को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, जो अपने परिवार में दो बच्चे पैदा करने को बढ़ावा देगा उन्हें टैक्स, रोज़गार, शिक्षा में भी आगे बढ़ने को लेकर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.’