कांग्रेस को उस समय और भी ज्यादा मजबूती मिली, जब बीजेपी के पुराने साझीदार बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट (बीपीएफ) ने भी सत्तापक्ष से अलग होकर विपक्षी महागठबंधन में शामिल होने का ऐलान कर दिया।
बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस के पास बेहतर मौका था, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद पीएम मोदी का जादू असम में चलता दिखाई दे रहा है, जबकि कांग्रेसी खेमे में अभी मायूसी है।
असम में सत्ताधारी बीजेपी गठबंधन को शिकस्त देने के लिए इस बार विपक्ष ने व्यापक रणनीति तैयार की थी। ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) ने कांग्रेस से गठबंधन कर लिया था ताकि बीजेपी को हराया जा सके।
बीजेपी इस गठबंधन पर आरोप लगाकर हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की राजनीति न कर सके, इसके लिए एआईयूडीएफ ने ऐलान किया था कि महागठबंधन की सरकार बनने के बावजूद सीएम कांग्रेस पार्टी से ही होगा।
असम में बीजेपी गठबंधन सत्ता में वापसी करता दिखाई दे रहा है। पिछले पांच सालों से असम की सत्ता पर काबिज बीजेपी के लिए यह चुनाव आसान नहीं था, लेकिन तमाम आरोपों-प्रत्यारोपों के बावजूद लोगों ने पीएम मोदी के चेहरे पर भरोसा जताया।
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने असम में बेहद ही आक्रामक और अलग तरीके से चुनाव प्रचार किया। बावजूद इसके कांग्रेस गठबंधन पुराने आंकड़े तक ही सिमटता दिखाई दे रहा है।