इलयासी ने कहा कि इसी तरह नवरात्रों पर भी मंदिरों को बंद कर दिया गया। ईसाइयों में कभी चर्च बंद नहीं होते थे, लेकिन ये एक परंपरा टूटी।
वहीं गुरुद्वारे 24 घंटे खुले रहते थे, लेकिन वे भी इस महामारी में बंद रहे। सभी धर्मों में मनाए जाने वाले त्योहारों पर होने वाले रिवाजों में बदलवाव हुआ, सभी त्योहारों की परंपरा टूटी।
मंदिर बंद होने की वजह से पूजा नहीं हो पाई। रमजान के महीने में भी परंपरा टूटी, हिंदुस्तान क्या पूरी दुनिया मे एक ऐसे परंपरा टूटी की मस्जिदें बंद हो गईं, नमाज नहीं हो सकी।
सरकार जब फैसला लेती है तो वो एक धर्म विशेष के लिए नहीं लेती। सभी का ख्याल करते हुए लिया जाता है।’ उन्होंने कहा कि जन्माष्टमी पर भी परंपरा टूटी है। जन्माष्टमी पर इस्कॉन मंदिर को बंद कर दिया गया।
मुखिया इमाम उमर अहमद इलयासी ने कहा, ‘सरकार ने जो फैसला लिया है वो कोरोना को देखते हुए लिया है ये एक मजबूरी है।
कोरोना के चलते मोहर्रम, ईद, बकरीद, रक्षाबंधन, गणेश चतुर्थी, जन्माष्टमी गुरुगोविंद जयंती सभी त्योहारों पर बंदिशें रहीं, सभी त्योहारों में होने वाले रिवाजों में भी बदलाव दिखा।
वहीं कोरोना काल की वजह से त्योहारों में कई सौ सालों की परंपराएं भी टूटीं। इस मसले पर आईएएनएस से कई बड़े मौलानाओं ने अपनी बात रखी। देशभर में कोरोना महामारी को देखते हुए मोहर्रम पर ताजिये के जुलूस नहीं निकाले जाएंगे और न ही सड़कों पर ढोल-नगाड़े बजेंगे।
खास खबर पर छपी खबर के अनुसार, धर्मगुरुओं और प्रशासन ने भी लोगों से मुहर्रम का त्योहार घर पर ही कोरोना की गाइडलाइन का पालन करते हुए मनाए जाने की भी अपील की है।