पेरासिटामोल को लेकर सामने आया ये बड़ा सच, सरकार ने कहा कोरोना महामारी के बीच…

प्रतिबंध की श्रेणी के तहत आने वाली वस्तुओं के निर्यात के लिए निर्यातकों को डीजीएफटी से अनापत्ति प्रमाणपत्र या लाइसेंस की जरूरत होती है.

 

केन्द्र सरकार ने 3 मार्च को पेरासिटामोल सहित 26 दवाओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. छह अप्रैल को 24 दवाओं में प्रयुक्त होने वाले रसायनों व फार्मुलेशंस के निर्यात से रोक हटा ली थी. इसमें पेरासिटामोल को छोड़ दिया गया था. पेरासिटामोल आमतौर पर बुखार व बदन दर्द में ली जाती है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया कि डाक विभाग ने लॉकडाउन के दौरान 100 टन से ज्यादा दवाओं व चिकित्सा से जुड़े अन्य आवश्यक सामान की आपूर्ति की है. विभाग ने इसके लिए मालवाहक विमानों व डिलिवरी वैन का प्रयोग किया है.

कोविड-19 पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि दो लाख से ज्यादा डाकिये व ग्रामीण डाक सेवक यह सुनिश्चत कर रहे हैं .

सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को भारतीय डाक भुगतान बैंक की मदद से वक्त पर धन मिले. उन्होंने बोला कि लॉकडाउन के दौरान भारतीय डाक विभाग ने अस्पतालों व अन्य उपभोक्ताओं को 100 टन से ज्यादा दवाएं, जाँच किट व वेंटिलेटर पहुंचाए. कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर 25 मार्च से ही देश में लॉकडाउन लागू है.

सरकार ने कोरोना महामारी के बीच पेरासिटामोल से बनने वाले दवा फार्मुलेशंस के निर्यात पर लागू प्रतिबंध को शुक्रवार को हटा दिया. विदेश व्यापार महानिदेशालय ने यह जानकारी दी.

डीजीएफटी ने एक अधिसूचना में बोला है कि पेरासिटामोल से बनने वाले फार्मुलेशंस (फिक्स्ड डोज मिश्रण) को तुरंत असर से निर्यात के लिए खोल दिया गया है. हालांकि पेरासिटामोल बनाने में कार्य आने वाले माल के निर्यात पर रोक जारी रहेगी.