ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Assaduddin Owaisi) ने बोला है कि राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (NPR) व राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) एक ही सिक्के के दो पहलु हैं. ओवैसी के इस दावे से एक दिन पहले ही केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने स्पष्ट किया था कि इन दोनों में कोई संबंध नहीं है.
ओवैसी ने दावा किया, ‘गृह मंत्री अमित शाह ने बोला है कि एनपीआर व एनआरसी के बीच कोई अंतर नहीं है. मैं आपको बता रहा हूं कि एनपीआर व एनआरसी एक ही सिक्के के दो पहलु हैं. एनपीआर व एनआरसी के नियम समान हैं.‘ उन्होंने कहा, ‘ये नियम नागरिकता कानून, 1955 के मुताबिक बनाए गए हैं, जिसमें एनपीआर व एनआरसी का जिक्र है अगर देश में एनपीआर होगा तो एनआरसी भी होगा.‘
2010 व 2020 के एनपीआर में पूछे जाने वाले सवालों में अंतर
उन्होंने भाजपा नेताओं पर इस मुद्दे में टीवी चैनलों के जरिए ‘दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया. कुछ भाजपा नेताओं द्वारा यह कहने पर कि एनपीआर की प्रक्रिया 2010 में तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा भी कराई गई थी, का संदर्भ देते हुए ओवैसी ने बोला कि 2010 व 2020 के एनपीआर में अंतर पूछे जाने वाले सवालों का है. उन्होंने दावा किया कि 2020 के एनपीआर में परिजनों के जन्म जगह व जन्मतिथि को लेकर भी सवाल पूछे जाएंगे.
एनपीआर के लिए लेकर आए सीएए
उन्होंने बोला कि अगर एनडीए सरकार की मंशा साफ होती तो वह पहले एनपीआर व एनआरसी की प्रक्रिया कराते व उसके बाद संशोधित नागरिकता कानून लाते. ओवैसी ने प्रदर्शन मीटिंग में कहा, ‘मोदी संशोधित नागरिकता कानून क्यों लाए?वह इसे इसलिए लेकर आए क्योंकि अब एनपीआर की प्रक्रिया होगी.‘
तेलंगाना में एनपीआर प्रक्रिया रोकने की मांग
ओवैसी विवादों में घिरे संशोधित नागरिकता कानून, एनआरसी व एनपीआर के विरूद्ध जारी अपने अभियान के तहत शुक्रवार की रात निजामाबाद में प्रदर्शन मीटिंग को संबोधित कर रहे थे. इस मीटिंग में सत्तारूढ़ तेलंगाना देश समिति (टीआरएस) के विधायक, वामपंथी एवं अन्य दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए. हालांकि, विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने घोषणा की थी कि वह इस प्रोग्राम में शामिल नहीं होगी. ओवैसी के अतिरिक्त संयुक्त मुस्लिम काम समिति के प्रतिनिधियों ने 25 दिसंबर को सीएम के चंद्रशेखर राव से मुलाकात की थी व उनसे केरल की ही तरह तेलंगाना में भी राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) की प्रक्रिया को रोकने का अनुरोध किया था.