रूस की कोरोना वैक्सीन को लेकर सामने आई ये बड़ी खबर, लगाने से पहले…कितना मुश्किल कार्य…

ब्रिटेन के वेलकम ट्रस्ट के हेड डाक्टर चार्ली वेलर का बोलना है कि राष्ट्रों के सामने यह भी चुनौती होगी कि किसे सबसे पहले वैक्सीन का डोज दिया जाए। इसके लिए हाई रिस्क ग्रुप को सबसे पहले ध्यान में रखा जा सकता है।

 

रूस में वैक्सीन बनाने के साथ ही बोला गया है कि सबसे पहले चिकित्साकर्मियों व बुजुर्गों को इसका डोज दिया जा सकता है। दुनिया में बड़ी संख्या में लोगों तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए बड़े स्तर पर वैक्सीन का प्रोडक्शन भी एक चुनौती होगी

एक्सपर्ट्स का मानना है कि दुनियाभर में वैक्सीन पहुंचाना भी बहुत बड़ी चुनौती है। इंटरनेशल वैक्सीन अलायंस Gavi के सीईओ सेथ बर्कले का बोलना है कि इस वक्त सबसे बड़ा चैलेंज तथाकथित ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’ है।

बीबीसी पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक सेथ बर्कले ने बोला है-इस वक्त राष्ट्रों को वैश्विक रूप से सोचने की जरूरत है क्योंकि यही सबसे बड़ी मांग है। इस वक्त सिर्फ अपने बारे में फिक्र करने की सोच से बाहर आना होगा। जब तक सब सेफ न हो जाएं, तब तक कोई भी सेफ नहीं है। ‘

हालांकि रूस की वैक्सीन को लेकर कई सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं। रूस से इतर बात करें तो इस वक्त ब्रिटेन व अमेरिका के एक-एक वैक्सीन प्रोजेक्ट ऐसे हैं जिनपर दुनियाभर की निगाहें टिकी हुई हैं।

लेकिन यह सवाल भी उठ रहे हैं कि अगर वैक्सीन तलाश भी ली गई तो तो दुनियाभर के 700 करोड़ लोगों तक इसे पहुंचाना कितना मुश्किल कार्य होगा?

रूस (Russia) दुनिया का पहला मुल्क है जिसने कोरोना वायरस की वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) बनाने का दावा किया है। वैक्सीन बनाने के साथ रूस की तरफ से दावा किया गया कि दुनिया के 20 राष्ट्रों ने उसकी वैक्सीन में दिलचस्पी दिखाई है।