बगदादी के खात्मे को लेकर अमेरिका ने किया बड़ा दावा, कहा कुर्दों ने दिया योगदान

इस्लामिक स्टेट के मुखिया अबू बक्र अल बगदादी को ढेर करने के बाद भले ही अमरीका अपनी पीठ थपथपा रहा हो, लेकिन इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि कुर्दों के योगदान के बिना ये संभव नहीं था.

उत्तर-पूर्वी सीरिया से अमरीकी सेनाओं की आकस्मित वापसी के बाद देश में राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति घबराहट के कारण दशा  बिगड़े हुए थे. एक तरफ अमरीकी सेना वापसी कर रही थी तो दूसरी ओर सुरक्षा बल तुर्की सीमा पर अल कायदा नियंत्रित क्षेत्र में बगदादी के ठिकाने को ढूंढ रहे थे.

यह उल्लेखनीय है कि कुर्द नेतृत्व वाली सीरियन डेमोके्रेटिक फोर्सेज मान रही थी कि ट्रंप उन्हें धोखा दे रहे हैं. फिर भी उन्होंने बगदादी को टै्रक करना जारी रखा. सीरिया में आखिरी आइएस का आखिरी गढ़ बनने के बाद कुर्द जासूसों ने बगदादी के ठिकानों पर ध्यान केंद्रित करना प्रारम्भ कर दिया.

सीरियन डेमोक्रेटिक काउंसिल के अध्यक्ष इल्हाम अहमद ने कहा, हमने मार्च से ही बगदादी की मौजूदगी का पता लगा रहे थे. क्योंकि उन्हें अमरीका पर भरोसा था. अहमद ने कहा, हमारी एजेंसियां अमरीकी खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर उसको दिन-रात टै्रक कर रही थी.

एक अखबार का दावा है कि बगदादी के बारे में शुरुआती जानकारी गर्मियों में उस वक्त मिली, जब उसके दूत को पत्नी सहित हिरासत में लिया गया था. अहमद ने बोला ट्रंप अपनी सियासी  आर्थिक फायदों को देखते हुए तुर्की को कुर्द क्षेत्रों में 30 लाख सीरियाई शरणार्थियों को बसाने के प्रयासों को रोकेंगे.

कुर्दों को उम्मीद है कि अमरीका सीरिया के भीतर कुर्द स्वायत्तता की रक्षा करेगा. साथ ही सीरियाई सरकार से वार्ता का भी भरोसा है. अहमद का बोलना है कि प्रारम्भ से आइएस के खौफ को समाप्त करने में सीरियाई कुर्दों ने अपना वादा निभाया है, अब अमरीका को कुर्दों को अपनी जमीन दिलाकर वादा निभाना चाहिए.

अमरीकी सेना  लोकल बलों के अभियान के बावजूद आइएस के आतंकवादी अभी कई राष्ट्रों में सक्रिय हैं. इराक के दियाला, सलाहुद्दीन, अंबार, किरकुक  निवेनेह जैसे प्रांतों में अब भी आइएस किडनैपिंग  बम धमाकों को अंजाम दे रहा है. यहां लगभग दो हजार लड़ाके हिंसक गतिविधियों में लगे हुए हैं.

पूर्वी सीरिया में ये खड़े हो रहे हैं. मिस्र के सिनाई प्रांत में आइएस के विरूद्ध फरवरी 2018 में प्रारम्भ हुए अभियान में सैकड़ों चरमपंथी मारे गए हैं. 2015 में शर्म अल शेख से उड़ान भरने वाले एक रूसी विमान को गिरा दिया गया था. इसमें सवार सभी 224 लोग मारे गए थे. इसके अतिरिक्त सऊदी अरब,यमन, नाइजीरिया, अफगानिस्तान, श्रीलंका  इंडोनेशिया  फिलीपींस में भी ये सक्रिय हैं.