डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन पर लगाया ये बड़ा आरोप, कहा ये तो…

अमेरिका प्रतिवर्ष लगभग 450 मिलियन डॉलर का भुगतान डब्ल्यूएचओ को कर रहा है। उसकी तुलना में प्रतिवर्ष केवल 40 मिलियन डॉलर का भुगतान करने के बावजूद चीन का विश्व स्वास्थ्य संगठन पर पूरा नियंत्रण है।

 

कोरोनावायरस से निपटने में मदद करने के लिए पिछले हफ्ते चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा अगले दो वर्षों में डब्ल्यूएचओ को 2 अरब डॉलर देने का संकल्प लिया गया। यह राशि पिछले वर्ष के डब्ल्यूएचओ के वार्षिक कार्यक्रम के बजट के लगभग बराबर है।

ट्रम्प ने पिछले महीने 194-सदस्यीय संगठन के लिए फंडिंग रोक दी थी, फिर 18 मई को एक पत्र में डब्ल्यूएचओ को सुधारों के लिए 30 दिन का समय दिया।

अमेरिका औपचारिक रूप से इसमें 1948 में जिनेवा स्थित संगठन में शामिल हुआ था। डब्ल्यूएचओ को छोड़ने का अमेरिका का कदम कोरोनावायरस प्रकोप पर वाशिंगटन और बीजिंग के बीच बढ़ते तनाव के बीच सामने आया है। कोरोनावायरस सबसे पहले चीन के वुहान शहर में पिछले साल के अंत में उभरा था।

व्हाइट हाउस रोज गार्डन में बोलते हुए ट्रम्प ने कहा कि चीनी अधिकारियों ने कोरोनावायरस के बारे में डब्ल्यूएचओ को सूचना देने के अपने दायित्वों की अनदेखी की, जिसने विश्व स्तर पर लाखों लोगों को मार दिया है। उन्होंने डब्ल्यूएचओ पर दुनिया को गुमराह करने का आरोप लगाया।

ट्रम्प ने शुक्रवार को कहा, ” वे अनुरोध किए गए और बहुत जरूरी सुधार करने में विफल रहे हैं। हम आज विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ अपने संबंधों को समाप्त करेंगे और उन निधियों को दुनिया भर में बांट देंगे जो वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य की तात्कालिक जरूरतों के हिसाब से होंगे।”

 अमेरिका ने कोरोनावायरस महामारी से निपटने में विश्व स्वास्थ्य संगठन को विफल करार देते हुए अपने संबंधों को समाप्त कर दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी पर चीन की कठपुतली बन जाने का आरोप लगाया।