‘सबका विश्वास’ योजना के तहत मुकदमेबाजी में फंसे 4 लाख करोड़ रुपये के राजस्व की वसूली होगी सरल

भारत सरकार की ओर से प्रारम्भ की गई सबका विश्वास (विरासत टकराव समाधान) योजना 2019 की मदद से मुकदमेबाजी में फंसे करीब चार लाख करोड़ रुपये के राजस्व की वसूली सरल हो जाएगी. वित्त मंत्रालय ने अप्रत्यक्ष करों के लंबित विवादों निपटारा करने के लिए यह बनाई है, जिसमें करदाताओं को बकाया राजस्व भुगतान के लिए सरल मौके दिए जा रहे हैं.

दरअसल, सामान्य कार्यप्रणाली के तहत इस मुकदमेबाजी को निपटाने में सालों लग जाएंगे. इसे देखते हुए वित्त मंत्रालय ने 1 सितंबर 2019 को सबका विश्वास (विरासत टकराव समाधान) योजना 2019 लागू की है. इसका लक्ष्य केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवाकर निर्धारिती को अटके हुए विवादों को निपटाने का मौका देना है. वादियों के लिए बकाया राजस्व निपटान का यह बेहतरीन मौका है.

विभाग के लिए भी यह योजना एक सुनहरा मौका है, ताकि वह लंबित विवादों को समाप्त कर GST प्रशासन पर ध्यान केंद्रित कर सके. इससे पहले लागू की गई दो अन्य योजनाओं कर टकराव निवारण योजना-1998  स्वैच्छिक अनुपालन प्रोत्साहन योजना-2013 में छूट की सीमा बहुत सीमित थी. मौजूदा योजना में यह छूट मुख्य कर देय राशि पर करीब 70 प्रतिशत है. इसके अलावा शास्ति, ब्याज  मुकदमेबाजी से भी पूरी रियायत मिलती है.

कर चोरी का भी खुलासा संभव

इस योजना का दूसरा सबसे बड़ा आकर्षण इसका विस्तृत दायरा है, जिसमें विभाग के साथ किसी भी स्तर के विवादों  न्यायालय में लंबित मामलों का भी निपटारा किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त कारण बताओ नोटिस, विभागीय जाँच या ऑडिट में पकड़े गए प्रकरण भी योजना के दायरे मेें आते हैं. करदाता अपनी पुरानी कर चोरी को भी घोषित कर सकता है, जिसे बिना किसी सवाल के स्वीकार्य किया जाएगा. यही कारण है कि इस योजना का निवारण बहुत ज्यादा व्यापक है, जिसके दायरे में लगभग सभी तरह के अप्रत्यक्ष कर मुद्दे आते हैं.

करदाता की नहीं होगी पहचान

योजना का सबसे खास पहलू यह है कि इसमें संपत्ति या बकाए राजस्व की घोषणा करने वाले करदाता की पहचान पूरी तरह गुप्त रखी जाएगी. करदाता की ओर से की जाने वाली सभी कार्यवाही, देय राशि का भुगतान  विभाग के साथ सम्पर्क आदि पूरी तरह औनलाइन होंगे जिससे उत्पीड़न या शिकायत की संभावना नहीं रहेगी. योजना के तहत आवेदन बहुत ज्यादा आसान है  इसे http://www.cbic-gst.gov.in पर लॉगिंन कर भरा जा सकता है. इस घोषणा पर विभाग के उच्च स्तर के ऑफिसर विचार करते हैं, जिसमें सहायक आयुक्त या उसके ऊपर के ऑफिसर शामिल होते हैं.