नेपाल और भारत के बीच अचानक हुआ ये, जानकर छूटे लोगो के पसीने

हिंदुस्तान के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को उत्तराखंड के धारचुला को लिपुलेख दर्रे से जोड़ने वाली सामरिक रूप से जरूरी 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया था।

 

जिसके बाद से दोनों राष्ट्रों के रिश्तों में तनाव पैदा हो गया था। नेपाल ने इसका विरोध करते हुए दावा किया कि यह सड़क उसके क्षेत्र से होकर गुजरती है।

इसके कुछ समय बाद नेपाल ने नया सियासी नक्शा जारी किया, जिसमें लिपुलेख, कालापानी व लिम्पियाधुरा को उसके क्षेत्र में दिखाया गया। जून में नेपाल की संसद ने देश के नए सियासी मानचित्र को मंजूरी दे दी, जिसपर हिंदुस्तान ने कड़ा ऐतराज जताया।

कोविड-19 महामारी की वजह से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई मीटिंग में नेपाल के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी व नेपाल में भारतीय राजदूत विजय मोहन क्वात्रा ने भाग लिया।

करीब एक घंटे तक चली मीटिंग में भारत की सहायता से नेपाल में चल रहे विभिन्न प्रोजेक्टों की प्रगति पर चर्चा की गई। हिंदुस्तान के राजदूत ने आश्वासन दिया कि वह नेपाल की सहायता से पीछे नहीं हटेगा व अन्य परियोजनाओं में भी लगातार योगदान करता रहेगा।

नेपाल के नक्शा टकराव (Map dispute) की वजह से दोनों राष्ट्रों के रिश्तों में जमी बर्फ पिघलने लगी है। दोनों राष्ट्रों के अधिकारियों के बीच सोमवार को काठमांडू (kathmandu) में मीटिंग हुई। वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई इस वार्ता में हिंदुस्तान की सहायता से नेपाल (India and Nepal) में चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा की गई।