200 किलो वजन वाले इस युवक ने किया ये काम, बोले प्रतिदिन लेते  10 हजार

सूमो रेसलर्स हमेशा बहुत वजनदार होते हैं लेकिन लम्बे  बड़े नहीं जापनियों की हाइट बहुत ज़्यादा नहीं होती पिछले कुछ दशकों में हवाई  मंगोलियाई सूमो चैंपियन बढ़े हैं  देखा गया है .

कि चैंपियन पहलवानों का औसत वजन जो 1930 के दशक में 300 पौंड हुआ करता था, अब बढ़कर 400 पौंड से भी ज़्यादा हो गया है  नॉर्मली कद में छोटे जापानी रेसलर्स प्रतियोगियों को बनाए रखने के लिए वे सब कुछ खाते हैं जिससे वे अपना वज़न बढ़ा सकें

जापानी के लिए जाने जाते हैं सूमो फाइटर्स को रिकिशी बोला जाता है रिकिशी फाटू नाम का एक बेहद प्रसिद्ध भी हुआ करता था आपने देखा होगा की वह भी बहुत मोटा था उनके लिए उनका वजन ही सब कुछ है इसके लिए वे ढेर सारा खाना खाते हैं कई के मुताबिक सूमो रेसलर्स किसी आम आदमी की तुलना में 8 से 10 गुना तक ज्यादा कैलोरी वाला खाना खाते हैं बोला जाता है कि कई पेशेवर सूमो रेसलर्स प्रतिदिन 10 हजार कैलोरी से ज्यादा तक लेते हैं ताकि रिंग में वे अपने प्रतिद्वंदी से पीछे न रह जाएं ये सभी सूमो फाइटर्स अपना खाना खुद बनाते हैं

सूमो रेसलिंग में भारी प्रतिद्वंद्वी को हमेशा फायदा होता है क्योंकि कोई अलग वजन का वर्ग नहीं होता है  ज़्यादा मोटे प्रतिभागियों के लिए रिंग बदला नहीं जाता, वही रहता है इसलिए पहलवान चाहता है कि वह जितना बड़ा हो सके उतना अच्छा

क्या है उनका भोजन

इस पूरी प्रक्रिया के केन्द्र में जो भोजन है उसके बारे में आपको जानना चाहिए ये सभी सूमो रेसलर स्टू खाते हैं स्टू यानि बहुत सारी सब्ज़ियों वाला या सूप इसमें कई तरह का मीट भी डाला जाता है चंको नामक एक स्टू है, जिसे कभी-कभी चंको-नाबे के नाम से भी जाना जाता है चंको नाम का यह स्टू इन सूमो रेसलर्स की सारे ज़िंदगी को एक तरह से परिभाषित करता है क्योकि सूमो पहलवान ज़िंदगी वजन रोज़ चंको ही खाते हैं यह उनके खेल का भी प्रतीक है

 

ये मोटे खिलाडी चंको को इतना पसंद करते हैं कि खेल से रिटायर हो जाने के बाद भी केवल चंको ही खाते हैं तकनीकी रूप से अगर देखा जाए तो सूमो पहलवानों द्वारा तैयार  खाए गए किसी भी भोजन को चंको बोला जा सकता है इस पकवान को बनाने के नुस्खे या इसकी रेसिपी की बजाय खेल के साथ ज़्यादा जोड़ा जाता है

हिंदुस्तान के किसी भी चीनी रेस्टोरेंट में हम जो थुक्पा कहते हैं यह कुछ वैसा होता है इसमें आम तौर पर एक प्रकार का मांस या मछली, टोफू, सब्जियां,  चिपचिपा चावल से बने एक स्टार्च केक होते हैं रेसलर्स के घरों में यह सूप भिन्न भिन्न तरह से बनता है पौष्टिक भोजन का यह सबसे सस्ता  सरल माध्यम है.

सूमो रेसलर्स ब्रेकफास्ट नहीं करते ये प्रातः काल जल्दी उठकर खाली पेट लगभग 5 घंटे तक कुश्ती की प्रेक्टिस  अभ्यास करते हैं ब्रेकफास्ट स्किप करने पीछे कारण यह है कि इससे उन्हें लंच तक बहुत ज्यादा भूख लग जाती है  वह ज्यादा खा पाते हैं

रेसलर्स प्रयास करते हैं कि वे चंको खाने के बाद चार घंटे से ज्यादा की नींद ले लें ताकि उनका मेटाबॉलिज्म स्लो हो  वे बॉडी में फैट जमा कर लें मेटाबॉलिज्म प्रॉसेस स्लो करने के लिए सूमो रेसलर्स बार-बार नहीं खाते वे लंच में ढेर सारा खाना खाते हैं  इसके बाद दोपहर में सोकर उठने के बाद थोड़ा खाते हैं  हेवी डिनर करने के बाद जल्दी सो जाते हैं