आरे जंगल के पास लगा दी धारा 144 अदालत ने कही यह बात

उच्च न्यायालय ने आरे कॉलोनी को वन क्षेत्र घोषित करने  वहां पेड़ों की कटाई संबंधी बीएमसी का एक निर्णय रद्द करने से इंकार कर दिया. इसके बाद भी वहां लोगों का देर रात प्रदर्शन जारी रहा. मुंबई पुलिस ने शनिवार को आरे जंगल के पास धारा 144 लगा दी है. बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने हरित क्षेत्र में मेट्रो कार शेड के लिए 2,600 पेड़ों को काटने की मंजूरी दी थी.

अदालत ने बीएमसी के वृक्ष प्राधिकारण की मंजूरी के विरूद्ध याचिका दायर करने वाले शिवसेना पार्षद यशवंत जाधव पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया. जाधव खुद भी वृक्ष प्राधिकरण के मेम्बर हैं. मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग  न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने गोरेगांव की आरे कॉलोनी के विषय में एनजीओ  पर्यावरण कार्यकर्ताओं द्वारा चार याचिकाओं को खारिज कर दिया. गोरेगांव महानगर का प्रमुख हरित क्षेत्र है.

खंडपीठ ने आरे कॉलोनी को हरित क्षेत्र घोषित करने के विषय में गैर सरकारी सगठन वनशक्ति की याचिका भी खारिज कर दी. न्यायालय ने कार्यकर्ता जोरु बथेना की याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें आरे कॉलोनी को बाढ़ क्षेत्र घोषित करने का अनुरोध किया गया था  मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को कार शेड बनाने के लिए आरे कॉलोनी में 2,656 पेड़ काटने की बीएमसी की मंजूरी को भी चुनौती दी गई थी.

अदालत ने बोला कि पर्यावरणविदों ने इसलिए याचिकाएं दायर की क्योंकि कानून के तहत अपनायी जाने वाली प्रक्रिया से उनका सम्पर्क समाप्त हो चुका है. घड़ी की सूइयों को वापस नहीं घुमाया जा सकता. हम कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते क्योंकि याचिकाकर्ताओं को अब सुप्रीम कोर्ट जाना है. न्यायालय ने बोला कि वृक्ष प्राधिकरण की फैसला लेने की प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी  तर्क पर आधारित थी. पर्यावरणविद ना केवल धारा के खिलाफ जा रहे थे बल्कि गुण-दोष के आधार पर भी नाकाम रहे .

अदालत ने उल्लेख किया कि इस मामले पर वृक्ष प्राधिकरण के सदस्यों की राय में कोई भिन्नता नहीं थी कि क्या पेड़ों को प्रत्यारोपित किया जा सकता है या नहीं. न्यायालय ने एमएमआरसीएल के एडवोकेट आशुतोष कुंभकोनी की इन दलीलों पर भी ध्यान दिया कि प्राधिकरण ने संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में 20,900 पेड़ लगाए हैं.

अदालत ने कहा, “यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट  राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के समक्ष लंबित है. इसलिए हम याचिका को एक जैसा मुद्दा होने के कारण खारिज कर रहे हैं, न कि गुण-दोष के आधार पर.