केंद्र सरकार ने चुपके से खेला ऐसा खेल, रिपोर्ट में हुआ ऐसा खुलासा कि देश को हो गया इतना बड़ा नुकसान, अब तो…

हिंदुस्तान में रोजगार वृद्धि दर में निरंतर गिरावट दर्ज की जा रही है। 2107 के बाद बेरोजगार युवाओं की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। नई नौकरी की तलाश में युवा भटक रहे हैं। बीते वर्ष रोजगार वृद्धि दर में 1 फीसदी की कमी आई है।

2017-18 में 3.9 फीसदी की दर से हो रही रो़जगार वृद्धि 2018-19 में घटकर 2.8 फीसदी पर पहुंच गई है। एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के प्रमुख उद्योगों में युवाओं को नई नौकरी नहीं मिल रही है।

International Rating Agency Care की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है कि 2016-17 में देश में रोजगार वृद्धि की दर में बढोतरी दर्ज की गई थी। लेकिन 2018-19 में रोजगार वृद्धि में कमी आ गई। शोध में ये बात भी सामने आई कि 2014-15 से 2018-19 के बीच सकल कर्मचारी संख्या में 3.3 फीसदी की औसतन वार्षिक बढ़ोतरी हासिल की गई जो कि अब तक के किसी भी 4 वर्ष के वक्त अंतराल से अधिक है।

प्रतिवर्ष के आधार पर रोजगार वृद्धि को देखा जाए तो 2015-16 में महज 2.5 फीसदी दर के बाद 2016-17 में इसने अचानक 4.1 फीसदी पर छलांग मारी, लेकिन 2018-19 में 2.8 फीसदी पर आ गई। केयर रेटिंग्स ने देश के सभी सेक्टरों की 1938 कंपनियों के आंकड़ों पर ये शोध तैयार किया है।

2014-15 से 2018-19 के बीच देश की जीडीपी की दर 7.5 फीसदी थी, जबकि इस दौरान रोजगार दर इससे 4.2 प्रतिशत दर्ज की गई। यानी जी़डीपी और रोजगार दर की तुलना नहीं हो सकती है। सेवा क्षेत्र ही सबसे बड़ा रोज़गार देता है। 2018-19 में देश के शीर्ष 10 औ़द्योगिक सेक्टर की 895 कंपनियों में 47 लाख लोग कार्यरत थे। यह सर्वे में शामिल 1938 कम्पनियों के कुल रोजगार का 3/4 हिस्सा है।