तेजी से काबुल की ओर बढ़ रहा तालिबान, बिगड़ सकते हालात

तालिबान ने शुक्रवार तक अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से आधे से ज्यादा पर कब्जा कर लिया है। अब वो राजधानी काबुल से महज चंद किमी दूर है। अमेरिका पहले ही कह चुका है कि तालिबान को काबुल तक पहुंचने में 90 दिन से ज्यादा नहीं लगेंगे।

तालिबान के प्रवक्ता ने ANI को दिए एक इंटरव्यू में भारत को लेकर अपनी स्थिति साफ की है। मोहम्मद सुहैल शाहीन ने भारत की दरियादिली पर कहा कि वो अफगानिस्तान में भारत द्वारा किए गए कामों की सराहना करता है।

बांध, राष्ट्रीय और बुनियादी ढांचा परियोजनाएं और जो कुछ भी अफगानिस्तान के विकास, पुनर्निर्माण और लोगों के लिए आर्थिक समृद्धि के लिए भारत की तरफ से किया गया, उसका तालिबान दिल से स्वागत करता है।

तालिबान ने हाल के हफ्तों में उत्तरी, पश्चिमी और दक्षिणी अफगानिस्तान के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लिया है। उत्तरी बल्ख प्रांत में प्रांतीय गवर्नर के प्रवक्ता मुनीर अहमद फरहाद ने कहा कि तालिबान ने 14 अगस्त को कई जगहों पर हमला किया।

सूत्रों के हवाले से अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी कभी भी इस्तीफा दे सकते हैं। इस समय तालिबान और अफगान लड़ाकों के बीच मैदान शहर में जबर्दस्त युद्ध चल रहा है। इसे काबुल का गेटवे भी कहते हैं। यानी तालिबान अब काबुल से कुछ ही दूरी पर है।

इधर, बल्ख प्रांत के नेहर शाही और देहदादी जिलों में अफगानी सेना और सार्वजनिक विद्रोह बलों द्वारा शुरू किए गए अभियान में 14 तालिबान आतंकवादी मारे गए।

हेरात और कंधार में अफगानों ने तालिबान के हाथों अपने शहरों के तेजी से पतन पर सदमा और गुस्सा व्यक्त किया है। अफगानिस्तान में कई इलाकों में तालिबान के खिलाफ आक्रोश है।

Afghanistan गृहयुद्ध की ओर बढ़ रहा है। तालिबान के तेजी से बढ़ते वर्चस्व के बीच उसके खिलाफ भी जनता खड़ी होती जा रही है। इस बीच तालिबान ने मजार-ए-शरीफ पर चारों तरफ से भीषण हमला किया।

एक अफगान अधिकारी का कहना है कि तालिबान ने मजार-ए-शरीफ पर एक बहुआयामी हमला किया है। बात दें कि मजार-ए-शरीफ शक्तिशाली पूर्व सरदारों द्वारा संरक्षित उत्तरी अफगानिस्तान का एक प्रमुख शहर है।