अफगान में महिलाओं पर शुरू हुआ ‘सितम’, पुरुष के बिना नहीं कर सकते…

शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) का कहना है कि मई के अंत से अब तक लगभग 250,000 अफगान अपने घरों से भाग गए हैं.

 

सिर्फ इस डर से कि तालिबान इस्लाम के अपने सख्त और अन्यायपूर्ण नियमों को फिर से लागू कर देगा. इन प्रवासियों में अस्सी प्रतिशत महिलाएं और बच्चे हैं.

वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतरेस ने गुरुवार को आतंकी संगठन से आग्रह किया कि वह अफगानिस्तान पर आक्रमण को तुरंत रोके और लंबे समय तक चलने वाले गृहयुद्ध को रोकने के लिए अच्छे विश्वास के साथ बातचीत करे.

न्यूयॉर्क में पत्रकारों से बात करते हुए एंटोनियो गुतरेस ने तालिबान द्वारा महिलाओं और पत्रकारों को लक्षित करने वाले मानवाधिकारों पर गंभीर प्रतिबंध को लेकर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र हालात पर नजर रखे हुए हैं और लड़ाई के शहरी इलाकों में पहुंचने से विशेष रूप से चिंता है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक तालिबानियों ने काबुल के उत्तरी तखर प्रांत में एक ट्रैक्टर पर जा रहे कुछ लोगों को रोका गया और उस पर बैठी लड़कियों को सैंडिल पहनने के लिए फटकार लगाई गई. राज्य की एक शिक्षिका ने कहा कि अब हालात ऐसे हो गए हैं कि पुरुषों के बिना किसी को भी बाजार या वहां से बाहर जाने की अनुमति नहीं है.

अपने माता-पिता और पांच भाई-बहनों के साथ रहने वाली ज़हरा कहती हैं, ‘हम लोग ये सब देखकर इतना सहम गए कि अब घर से बाहर निकलने में भी डर लगता है.

तालिबान के बढ़ते उभार से हमें अब लगने लगा है कि क्यों हमने इतनी पढ़ाई-लिखाई की और भविष्य के सपने देखे जब हमें खुद को छुपाने के लिए घरों में ही रहना पड़ रहा है.’

तालिबान और अफगानिस्तान (Taliban And Afghanistan) के बीच अभी भी जंग जारी है. लेकिन इसका असर आम लोगों पर सबसे ज्यादा पड़ रहा है. एक अफगानी महिला ज़हरा ने बताया कि वह तालिबान से मुक्त अफगानिस्तान में पली-बढ़ी हैं।

जहां लड़कियों को पढ़ाई-लिखाई की आजादी थी और महिलाएं काम करने का सपना देखती थीं. पिछले पांच वर्षों के दौरान उन्होंने महिलाओं (Women) के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने और लैंगिक समानता पर जोर देने के लिए गैर-सरकारी संगठनों के साथ काम किया, लेकिन उसके सपनों और मिशन को गुरुवार शाम को तब चकनाचूर कर दिया गया जब तालिबान ने हेरात शहर में प्रवेश किया और इलाके में अपनी कब्जे के ऐलान के साथ अपने सफेद झंडे लगाए.