जल्द ही विदेशी कंपनी बन जाएगी एयरटेल, FDI की सरकार से मांगी इजाजत

ऐसा लगता है कि जल्द ही टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर भारती एयरटेल विदेशी कंपनी बन जाएगी. इसके प्रमोटर भारती टेलीकॉम ने सिंगापुर के सिंगटेल और कई अन्य विदेशी कंपनियों से आने वाले 4,900 करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सरकार से इजाजत मांगी है. अगर इस निवेश की मंजूरी मिली तो देश की सबसे बड़ी निजी टेलीकॉम ऑपरेटर विदेशी कंपनी बन सकती है.

गौरतलब है कि जियो से मुकाबले और समायोजित सकल राजस्व (AGR) जैसे मसलों की वजह से भारती एयरटेल सहित कई टेलीकॉम कंपनियों को काफी मुश्किल से गुजरना पड़ रहा है. एयरटेल को सिर्फ एजीआर के मद में सरकार को 43,000 करोड़ रुपये का बकाया चुकाना है.

अभी कितना है भारतीय प्रमोटर का हिस्सा

अभी भारती एयरटेल में इसके प्रमोटर सुनील भारती मित्तल और उनके परिवार की करीब 52 फीसदी हिस्सेदारी है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक एफडीआई आने के बाद कंपनी में विदेशी हिस्सा 50 फीसदी से ज्यादा हो सकता है. यानी उस पर विदेशी निवेशकों का प्रभुत्व हो जाएगा और नियम के मुताबिक कंपनी को विदेशी कंपनी मान लिया जाएगा.

एयरटेल ने किया आवेदन

सूत्रों के मुताबिक, ‘भारती टेलीकॉम ने कंपनी में सिंगटेल और कई अन्य विदेशी निवेशकों से हासिल हो रहे 4,900 करोड़ रुपये के निवेश की मंजूरी के लिए आवेदन किया है. इसके साथ ही भारती टेलीकॉम एक विदेशी कंपनी बन जाएगी, क्योंकि बहुल हिस्सेदारी विदेशी निवेशकों की हो जाएगी. टेलीकॉम विभाग से इस महीने इसकी मंजूरी मिल सकती है.’

कितना हो जाएगा विदेशी हिस्सा

हालांकि टेलीकॉम विभाग ने इसके पहले भारती एयरटेल के एफडीआई आवेदन को नामंजूर कर दिया था, क्योंकि उसने विदेशी निवेशक के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दी थी. अभी भारती एयरटेल में कुल विदेशी हिस्सेदारी 43 फीसदी है. निवेश की मंजूरी मिलने के बाद कंपनी में विदेशी निवेश बढ़कर 84 फीसदी तक हो सकता है.

क्या है हिस्सा बेचने की मंजूरी

अगस्त महीने में कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंजों को बताया था कि उसे अपने कर्ज चुकाने के लिए विदेशी निवेशकों को अपनी हिस्सेदारी बेचनी पड़ सकती है. हाल ही में एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ने दूसरी तिमाही के नतीजे जारी किए हैं. इन नतीजों में दोनों कंपनियों ने बताया है कि एजीआर की वजह से कुल 70 हजार करोड़ रुपये के करीब घाटा हुआ है. सिर्फ वोडाफोन-आइडिया को इस तिमाही में 50,921 करोड़ रुपए का घाटा हुआ. यह कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घाटा माना जा रहा है. वहीं एयरटेल 23 हजार करोड़ के नुकसान में है.