शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के गुरुवार के संपादकीय में मराठा भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा देने की मांग उठाई है। संपादकीय में बोला गया है कि यह मांग बहुत ज्यादा पुरानी है व केन्द्र सरकार की ओर से इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है।
सामना में बोला गया कि, ‘मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा देने की मांग एक बार फिर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा की गई है। ‘
सामना में लिखा गया है कि ठाकरे से पहले भी प्रदेश के कई मुख्यमंत्रियों ने मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा देने के लिए कई लेटर लिखे, किन्तु उन सभी पत्रों का कोई जवाब पीएम ऑफिस के ओर से नही आया। बोला जाता है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा दिलवाने के लिए बहुत ज्यादा कोशिश किए थे, उस वक़्त संबंधित विभाग के मंत्री विनोद तावड़े ने बोला था कि इस विषय में सभी औपचारिकताए पूरी कर ली गई हैं, किन्तु अभी तक मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा नहीं मिल सका है।
सामना में बोला गया है कि आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि, मूलतः भाषा विभाग गृह मंत्रालय के गुलाम आता है ऐसे में, मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा देने का निर्णय केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को लेना है। शिवसेना का मानना है कि मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा देना कोई सियासी मुद्दा नहीं है बल्कि महाराष्ट्र के स्वाभिमान व मराठी अस्मिता का मामला है। आज मराठी भाषा अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहुंच चुकी है। हिंदुस्तान के कई राज्यों व दुनिया के कई राष्ट्रों में बोली जाती है।