अखिलेश यादव और शिवपाल के नए रुख से दोनों की राहें जुदा होती नजर आ रही हैं। ऐसा लग रहा है कि सपा नहीं चाहती कि शिवपाल यादव पार्टी में बने रहें और शिवपाल भी यहां से बाहर निकलने की वजह ढूंढ रहे हैं। उनके लिए सबसे मुफीद यही है कि सपा उनको निष्कासित कर दे।
शिवपाल ने गुरुवार को सपा मुखिया पर पलटवार कर अपने इरादे जता दिए हैं। वह खुद पार्टी छोड़ने के मूड में नहीं हैं। इससे उनकी विधायकी पर संकट आ सकता है। इसलिए उन्होंने खुद ही कह दिया कि सपा चाहे तो उन्हें निकाल दे। सपा यह कदम उठाने से बचना चाहती है। अगर पार्टी से निकाला तो शिवपाल यादव परिवार व समर्थकों के बीच सहानुभूति पाएंगे।
असल में सपा ने पिछली विधानसभा में भी शिवपाल यादव की सदस्यता खत्म करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को चिट्ठी भेजी थी। बाद में वह पत्र उन्होंने वापस ले लिया। लगा चाचा भतीजा अब करीब आ गए हैं। चुनाव में करीब आए भी। शिवपाल सपा विधायक हो गए लेकिन यह वक्ती समझौता साबित हुआ। नतीजे आते ही बिखरने लगा।
जहां तक शिवपाल के भाजपा में जाने का सवाल है, उस पर निर्णय भाजपा को करना है। वहां से हरी झंडी मिलने पर ही वह अपने पत्ते खोलेंगे। इस बीच वह आजम खां से भी सहानुभूति जता रहे हैं। अपर्णा यादव के जाने के बाद अब अगर शिवपाल यादव भाजपा में शामिल होते हैं तो यह सपा के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है।