शिवसेना ने बीजेपी पर बोला हमला, कहा परमबीर सिंह की चिट्ठी साजिश

शिवसेना ने कहा कि इस साजिश के पीछे सिर्फ एक ही मकसद है महाराष्ट्र सरकार को बदनाम करना है, ऐसा नहीं है बल्कि सरकार को मुश्किल में डालना है, ऐसी उनकी नीति है।

देवेंद्र फडणवीस दिल्ली जाकर मोदी-शाह को मिलते हैं और 2 दिन में परमबीर सिंह ऐसा पत्र लिखकर खलबली मचाते हैं। उस पत्र के आधार पर विपक्ष हंगामा करता है, यह एक साजिश का ही हिस्सा नजर आता है।

महाराष्ट्र में विपक्ष ने केंद्रीय जांच एजेंसियों का निरंकुश इस्तेमाल शुरू किया है, महाराष्ट्र जैसे राज्य के लिए ये उचित नहीं है। एक तरफ राज्यपाल राजभवन में बैठकर अलग ही शरारत कर रहे हैं तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार केंद्रीय जांच एजेंसियों के माध्यम से दबाव का खेल-खेल रही है।

सचिन वाझे ने महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल ला दिया है। उन्हें समय पर रोका गया होता तो मुंबई पुलिस आयुक्त पद की प्रतिष्ठा बचाई जा सकती थी। परंतु इस पूर्व आयुक्त द्वारा कुछ मामलों में अच्छा काम करने के बावजूद वाझे प्रकरण में उनकी बदनामी हुई।

इस प्रकरण के तार परमबीर सिंह तक पहुंचेंगे ऐसी आशंका जांच में सामने आने से परमबीर सिंह ने खुद को बचाने के लिए इस तरह के आरोप लगाए हैं, यह सत्य होगा तो इस पूरे प्रकरण में भाजपा महाराष्ट्र सरकार को बदनाम करने के लिए परमबीर सिंह का इस्तेमाल कर रही है।’

गृहमंत्री पर आरोप लगाने वाला पत्र मुख्यमंत्री को लिखा जाए और उसे प्रसार माध्यमों तक पहुंचा दिया जाए, यह अनुशासन के खिलाफ है। परमबीर सिंह का दावा है कि अनिल देशमुख ने उन्हें 100 करोड़ की वसूली का टारगेट दिया था, मगर सवाल ये है कि बीते डेढ़ साल से जब रेस्टोरेंट-पब बंद हैं.

तो ये पैसे कहां से आते? शिवसेना ने संपादकीय में लिखा- ‘परमबीर सिंह को थोड़ा संयम रखना चाहिए था। सरकार को परेशानी में डालने के लिए परमबीर सिंह का कोई इस्तेमाल कर रहा है क्या? ऐसी शंका भी है। असल में जिस सचिन वाझे के कारण ये पूरा तूफान खड़ा हुआ है, उन्हें इतने असीमित अधिकार दिए किसने?

शिवसेना ने कहा कि जिस परमबीर सिंह पर कल तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भरोसा नहीं कर रही थी, उसी परमबीर सिंह को बीजेपी सिर पर बैठाकर क्यों नाच रही है। साथ ही भाजपा को याद दिलाया है कि अगर सरकार गिराने की कोशिश करोगे तो आग लगेगी।

मुखपत्र ‘सामना’ में शिवसेना ने परमबीर सिंह के पत्र पर सवाल खड़े किए हैं और सवाल किया है कि परमबीर के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने कार्रवाई की है इसलिए उनकी भावनाओं का विस्फोट समझ सकते हैं। मगर सरकारी सेवा में अत्यंत वरिष्ठ पद पर विराजमान व्यक्ति द्वारा ऐसा दावा करना नियमोचित है क्या?

एंटीलिया केस में मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के लेटर बम से महाराष्ट्र की सियासत में बवाल मचा हुआ है। अनिल देशमुख विपक्ष की रडार पर हैं और भाजपा के आरोपों का काउंटर कैसे किया जाएगा.

इस पर आज शिवसेना और एनसीपी बैठक में मंथन करेंगे। इस बीच शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए पलटवार किया है और सवाल किया है कि परमबीर सिंह की चिट्ठी कहीं किसी की साजिश तो नहीं।