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शीर्ष न्यायालय ने राज्यों तथा विभिन्न उच्च न्यायालयों से वर्तमान व पूर्व विधायकों के विरूद्ध लंबित आपराधिक मामलों की विस्तृत जानकारी मांगी थी ताकि ऐसे मामलों में जल्द सुनवाई के लिए पर्याप्त संख्या में विशेष अदालतों का गठन किया जा सके. आज उच्चतम कोर्ट ने पूर्व व वर्तमान सांसदों व विधायकों के विरूद्ध मामलों की सुनवाई के लिए बिहार व केरल की सत्र अदालतों के गठन का आदेश दिया है.
वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया व अधिवक्ता स्नेहा कालिता इस मामले में न्यायमित्र की किरदार में हैं. उन्होंने राज्यों व उच्च न्यायालयों से प्राप्त डेटा शीर्ष न्यायालय में पेश किया. यह डेटा बताता है कि 264 मामलों में उच्च न्यायालयों ने सुनवाई पर रोक लगा दी. यही नहीं, साल 1991 से लंबित कई मामलों में तो आरोप तक तय नहीं किए गए हैं.
अधिवक्ता एवं बीजेपी नेता अश्चिनी उपाध्याय की उस याचिका पर न्यायालय सुनवाई करेगी जिसमें आपराधिक मामलों में दोषी सिद्ध नेताओं पर ताउम्र प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है.इसके अतिरिक्त न्यायालय निर्वाचित प्रतिनिधियों से जुड़े इस तरह के मामलों में तेज सुनवाई के लिए विशेष अदालतें गठित करने पर भी विचार करेगी.