रमजान के दौरान नहीं टूटेगा डायबिटीज पेशेंट का रोजा, जानिए कैसे…

सबसे पहले डॉक्टर साराह आलम (सलाहकार, एशियाई अस्पताल, फरीदाबाद) ने कहा कि रमजान के दौरान लगभग 150 मिलियन लोग रोजा रखते हैं. हाल के शोध से पता चला है कि आंतरिक उपवास लोगों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है. उन्होंने कहा कि उपवास मधुमेह रोगियों के लिए खतरनाक हो सकता है, इसलिए उन्हें डॉक्टर से सलाह करने के बाद ही रोजा रखना चाहिए.

राजीव गांधी सेंटर फॉर डायबिटीज एंड एंडोक्राइनोलोजी (फैकल्टी ऑफ मेडिसिन) के निदेशक डॉक्टर हामिद अशरफ ने कहा कि रोजे का मधुमेह वाले लोगों पर अलग-अलग प्रभाव हो सकता है.

जिन लोगों को उच्च मधुमेह है और जिनमें अक्सर रक्त शर्करा कम होता है, या जो गर्भवती हैं और जिन्हें गुर्दे की गंभीर बीमारी है. उन्हें रोजा से बचना चाहिए.

इस मौके पर जेएन मेडिकल कॉलेज के राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) सेंटर फॉर डायबिटीज एंड एंडोक्राइनोलोजी और मेडिसिन विभाग के वक्ताओं समेत दूसरे कॉलेजों से आए वक्ताओं ने रोजे और डायबिटीज के मरीजों से जुड़ी जरूरी सलाह पर कई तरह की खास जानकारियां साझा कीं.

रमजान (Ramzan) शुरू होने से पहले ही डायबिटीज (Diabetes) के मरीजों के सवालों की फेहरिस्त लम्बी होती चली जाती है. डायबिटीज से पीड़ित होने पर रोजा रख सकते हैं या नहीं. अगर रख सकते हैं.

तो रोजे के दौरान क्या करना चाहिए? दवा किस तरह से लेनी चाहिए. डायबिटीज चेक करने से कहीं रोजा तो नहीं टूटता है. सेहरी और इफ्तार के दौरान डायबिटीज के मरीज का खानपान कैसा हो इसे लेकर भी तमाम तरह के सवाल होते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के जेएन मेडिकल कॉलेज में एक सेमीनार का आयोजन किया गया था.