RBI का कहना, 2020 तक बढ़ती महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद

 बढ़ती महंगाई से मार्च 2020 तक राहत मिलने की उम्मीद नहीं है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को अपनी मौद्रिक नीति बैठक में चालू वित्‍त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए खुदरा महंगाई दर का अनुमान बढ़ाकर 4.75-5.1 फीसदी कर दिया है. मुख्य रूप से प्याज और टमाटर जैसी सब्जियों की कीमतों में उछाल को देखते हुये केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाया है. इसका मतलब होली तक लोगों को महंगाई से राहत नहीं मिलेगी.

रिजर्व बैंक ने कहा, आगे चलकर मुद्रास्फीति का परिदृश्य कई कारकों से प्रभावित होगा. सब्जियों की कीमतों में तेजी आने वाले महीनों में जारी रह सकती है. हालांकि, खरीफ फसल की आवक बढ़ने और सरकार द्वारा आयात के जरिये आपूर्ति बढ़ाने के प्रयासों से फरवरी, 2020 की शुरुआत में सब्जियों के दाम नीचे लाने में मदद मिलेगी. केंद्रीय बैंक ने कहा कि दूध, दालों और चीनी जैसे खाद्य उत्पादों में कीमतों पर जो शुरुआती दबाव दिख रहा है, वह अभी कायम रहेगा. इससे खाद्य मुद्रास्फीति प्रभावित होगी. अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 4.6 प्रतिशत पर पहुंच गई. मुख्य रूप से खाद्य वस्तुएं महंगी होने से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है. आइए जानते हैं आरबीआई की मौद्रिक नीति बैठक की मुख्य बातें-

(1) रेपो रेट 5.15% पर बरकरार- RBI ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की समीक्षा बैठक में रेपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं किया है. रेपो दर 5.15 फीसदी पर बरकरार रहेगा. इससे पहले रिजर्व बैंक इस साल अब तक रेपो रेट में 1.35 फीसदी की कटौती कर चुका है. इस साल रेपो दर में कुल 135 आधार अंकों की कटौती हुई है. नौ सालों में पहली बार रेपो रेट इतना कम है. मार्च, 2010 के बाद यह रेपो रेट का सबसे निचला स्तर है.