अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने के बाद रंजन गोगोई व इन 5 जजों की सुरक्षा बढ़ाई गई

राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के पहले केंद्र सरकार ने फैसला देने वाले पांच जजों की सुरक्षा की समीक्षा की. गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इस उच्च स्तरीय समीक्षा कमेटी ने बैठक के दौरान पाया कि इन पांचों जजों की सुरक्षा और बढ़ाए जाने की जरूरत है, लिहाजा चीफ जस्टिस रंजन गोगोई समेत पांचों जजों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

सूत्रों ने बताया कि इनमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की सुरक्षा जेड कैटेगरी से बढ़ाकर जेड प्लस कर दी गई है जबकि अन्य चारों जजों की सुरक्षा वाई कैटेगरी से बढ़ाकर वाई प्लस कर दी गई है. नई सुरक्षा कैटेगरी मिलने के बाद इन सभी की सुरक्षा में इजाफा हो जाएगा. अमूमन भारतीय सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की सिक्योरिटी जेड कैटेगरी की रहती है. सूत्रों का कहना है रिटायरमेंट के बाद भी चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की सिक्योरिटी बरकरार रहेगी. ध्यान रहे कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई इसी महीने रिटायर होने जा रहे हैं.

 

देश के सबसे लंबे चले मुकदमे यानी अयोध्या विवाद पर देश की सबसे बड़ी अदालत का फैसला आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित जमीन रामलला की है. कोर्ट ने इस मामले में निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि तीन पक्ष में जमीन बांटने का हाई कोर्ट फैसला तार्किक नहीं था. कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ की वैकल्पिक जमीन दी जाए. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी वैकल्पिक ज़मीन देना ज़रूरी है.

 

कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार तीन महीने में ट्र्स्ट बना कर फैसला करे. ट्रस्ट के मैनेजमेंट के नियम बनाए. मन्दिर निर्माण के नियम बनाए. विवादित जमीन के अंदर और बाहर का हिस्सा ट्रस्ट को दिया जाए.” कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ की वैकल्पिक ज़मीन मिले. या तो केंद्र 1993 में अधिगृहित जमीन से दे या राज्य सरकार अयोध्या में ही कहीं दे.

 

अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने वाली पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस धनंजय वाई चन्द्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट में 16 अक्टूबर 2019 को अयोध्या मामले पर सुनवाई पूरी हुई थी. 6 अगस्त से लगातार 40 दिनों तक इसपर सुनवाई हुई थी.