ये मास्क जरूर कॉटन के बने हैं मगर ये बस एक बार प्रयोग कि लिए ही हैं. इन्हें उतारने के बाद आपको इन्हें बस मिट्टी में फेंक देना है और रोज पानी डालना है. कुछ दिनों बाद आपको इसी मास्क में से पौधा निकलता हुआ नजर आ सकता है.
एक मास्क की कीमत 25 रुपए है और नितिन का मानते हैं कि ये सस्ते बिल्कुल नहीं हैं. इतना जरूरत है कि जब कोई भी इस तरह के मास्क को पहनेगा तो उसे अहसास होगा कि एक लंबी और मेहनती प्रक्रिया के बाद इन मास्क्स को तैयार किया गया है.
नितिन का कहना है कि मास्क इंसानों के लिए बहुत जरूरी हैं. लेकिन अपनी इस जरूरत के कारण अब वह दूसरी प्रजातियों के लिए मुसीबत पैदा करता जा रहा है. हर गली और मुहल्लों में इस तरह के मास्क फेंके हुए देखे जा सकते हैं.
नितिन के मुताबिक यह नहीं भूलना चाहिए कि आज जो मास्क आपने नाली में फेंक दिया है, वो आगे जाकर किसी नदी और समुद्र में गिर जाएगा. इसके बाद जो होगा वो पर्यावरण को बहुत बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचाएगा. 36 साल के नितिन के आइडिया को इसी बात से प्रेरणा मिली थी.
जहां मास्क का बाहरी हिस्सा कॉटन पल्प से बनता है जिसे अलग-अलग तरह के स्क्रैप मैटेरियल को इकट्ठा करके तैयार किया जाता है. इस स्क्रैप को गारमेंट इंडस्ट्री से इकट्ठा किया जाता है.
वहीं अंदर की पर्त में सॉफ्ट कॉटन कपड़े का प्रयोग होता है. नितिन के मुताबिक यह सॉफ्ट कॉटन इतना थिक होता है कि किसी भी तरह के संक्रमण से लोगों को बचा सकता है. नितिन वास खुद भी एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं. साल 2017 से ही यह कंपनी रिसाइकिल उत्पादों को तैयार कर रही है. महामारी के दौरान कंपनी का यह नया प्रयोग सुपरहिट हो गया है.
कर्नाटक की कंपनी पेपर सीड ने एक ऐसा फेस मास्क तैयार किया है जो फेंकने के बाद एक पेड़ में बदल जाएगा. आप सुनकर शायद हैरान रह जाएं लेकिन मेंगलुरु में एक सामाजिक संगठन ने यह अनोखी पहल की है.
इस नए और इको-फ्रेंडली आइडिया ने जनता का तो दिल जीत लिया है तो वहीं ऑनलाइन भी सुर्खियां बटोरनी शुरू कर दी हैं. पेपर सीड को शुरू करने वाले नितिन वास कॉटन के मास्क असल में रिसाइकिल किए हुए कपड़े से बनते हैं.
कोरोना वायरस महामारी के बीच ही हर किसी को मास्क पहनने की सलाह दी जा रही है. सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि महामारी से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और घर में रहने के साथ ही मास्क भी बहुत जरूरी है.
लेकिन कुछ लोग इतने लापरवाह हैं कि जहां चाहते हैं, वहीं अपना मास्क फेंक देते हैं. यह आदत भी बीमारी को बुलावा देने वाली है. अब एक कंपनी ने एक ऐसा मास्क तैयार किया है जो लोगों को महामारी से तो बचाएगा ही साथ ही साथ पर्यावरण की भी रक्षा करेगा.