चीन को पीछे हटाने में पीएम मोदी ने किया इस ‘हथियार’ का प्रयोग , कई दिनों से लगा रखा था…

यहां हम आपको बता दें कि पीएम मोदी राष्ट्र्रहित और सुरक्षा के मामलों में सबसे अधिक भरोसा अजीत डोभाल पर ही करते आए हैं । डोभाल से बातचीत करने के बाद चीन भी अब भारत से तनाव कम करने के मूड में दिख रहा है, भारत के लिए भी यह राहत की बात कही जाएगी ।

पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अचानक लद्दाख दौरा भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का ही दिमाग था । डोभाल के प्लान की वजह से ही किसी को भी इसकी भनक नहीं लगी थी।

दूसरी तरफ चीनी घुसपैठ की कोशिश के बाद जिस तरह भारत ने आक्रमक तरीके से उसका जवाब दिया उसे भी डोभाल की रणनीति बताया जाता है।

बता दें कि डोभाल की प्लानिंग इतनी गोपनीय रहती है कि देश भर में किसी को कानों कान खबर नहीं लगती है । ऐसे ही पिछले वर्ष फरवरी माह में पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक को भी अजीत डोभाल ने ही अंजाम दिया था ।

उसके बाद दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे लोगों को समझाने का जिम्मा भी ग्रह मंत्री अमित शाह ने डोभाल को दिया था ।

गलवान घाटी से चीनी सैनिकों को पीछे धकेलने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर अपनेे सबसे सबसेेे मजबूत ‘हथियार’ अजीत डोभाल का इस्तेमाल किया है ।

केेंद्र की मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को चीन केेेे मोर्चे पर कई दिनों से लगा रखा था । डोभाल ने रविवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत की।

डोभाल के साथ बातचीत का ही नतीजा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास गलवान घाटी में आज चीनी सेना पीछे हटी है । इसी बातचीत में गलवान में तनाव कम करने पर सहमति बनी।

गौरतलब है कि लद्दाख संकट पर डोभाल पहले से ही सक्रिय हैं और चीन की हर हरकत पर उनकी नजर भी है। अजीत डोभाल पीएम मोदी की उम्मीदों पर एक बार फिर खरे उतरे हैं ।

गलवान घाटी में 15 जून की रात भारत और चीनी सैनिकों की झड़प के बाद दोनों देशों के बीच चली आ रही तनातनी मंगलवार को कुछ नरम पड़ती दिखाई दे रही है।

पिछले एक महीने से लद्दाख स्थित गलवान घाटी पर भारत सीमा पर चीनी सैनिकों का जमावड़ा अब धीरे धीरे पीछे हटने लगा है, इसके पीछे सबसे बड़ा हाथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का माना जा रहा है.