पीएम मोदी ने चीन को दिया ये बड़ा झटका, कहा अब खत्म होगा…

देश को आत्मनिर्भर बनाने की इस मुहिम से साफ है कि पीएम मोदी दूसरे देशों पर भारत की निर्भरता को कम करना चाहते हैं। इसके साथ ही स्थानीय स्तर पर उत्पादों को बढ़ावा देने से स्वरोजगार के अवसर बढ़ने के साथ ही अर्थव्यवस्था को भी काफी रफ्तार मिलेगी।

 

जानकारों का कहना है कि इससे देश में चीनी उत्पादों के दबदबे मैं काफी कमी आएगी और स्थानीय स्तर पर छोटा-मोटा उद्योग लगाकर अपनी रोजी रोटी चलाने वालों को काफी ताकत मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के दौरान इस बात का विशेष रूप से जिक्र किया कि हमें आपदा को अवसर बनाने का तरीका खोजना होगा। यदि हम इस संकटकाल में भी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के अवसर खोजने में कामयाब हो गए तो निश्चित रूप से आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था को काफी मजबूती मिलेगी।

जानकारों का कहना है कि मोदी इस बात को बखूबी जानते हैं कि 130 करोड़ की आबादी वाला यह देश दुनिया के तमाम बड़े देशों के लिए एक बड़ा बाजार है और वे यहां अपना उत्पाद खपाकर भारी-भरकम कमाई करते हैं। अब मोदी की नजर इस बात पर गई है और अब वे चीन सहित अन्य देशों को भारत से अकूत कमाई का मौका नहीं देना चाहते।

भारत और चीन के बीच कारोबारी और आर्थिक रिश्ते पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़े हैं। भारत चीन को मुख्य रूप से कपास,तांबा, हीरा और अन्य प्राकृतिक रत्नों का निर्यात करता है .

जबकि चीन भारत को मशीनरी, टेलीकॉम उपकरण, बिजली से जुड़े उपकरण, जैविक रसायन और खाद आदि का निर्यात करता है मगर यहां एक बात विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि इस कारोबार में चीन को भारत से कई गुना ज्यादा फायदा हो रहा है।

कोरोना वायरस के कारण डूब रही देश की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज और साथ में आत्मनिर्भर भारत का नारा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन की इन दो सबसे महत्वपूर्ण बातों में एक बड़ा गूढ़ संदेश भी छिपा हुआ है। दरअसल मोदी कोरोना संकट के इस काल में चीन को एक बड़ा झटका देने की तैयारी कर रहे हैं। जानकारों के मुताबिक प्रधानमंत्री का लोकल के लिए वोकल बनने का जोर चीन को एक बड़ा संदेश साबित होने वाला है।